देश का गौरवशाली संविधान सभी के साथ एक नीति अपनाकर फैसले लेने का मार्ग प्रशस्त करता है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी सभी के साथ एक नीति और नियम अपनाकर चलने और उनका भला करने की सोच को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे में अगर मौत पर मिलने वाले मुआवजे या अन्य रियायतों में जो दोहरी नीति अपनाई जा रही हो उसे कोई भी ठीक नहीं कह सकता। दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान अपनी जान गंवाने वाले सरकारी कर्मचारियों के परिवारों को दिल्ली सरकार एक-एक करोड़ रुपये की मदद देगी। उनका कहना है कि पहले चरण में सरकार दस कर्मचारियों को अनुग्रह राशि दी जाएगी और फिर अन्यों को। दिल्ली सरकार का यह प्रयास अच्छा है लेकिन मेरा मानना हैे कि सरकार के लिए सभी नागरिक एक समान होने चाहिए इसलिए जितने भी लोग देशभर में कोरोना काल में इस महामारी के शिकार हुए उनके परिवारों को केंद्र और प्रदेश की सरकार एक समान मुआवजा देने की नीति बनाए और जिनके अंग भंग हो गए या अभी भी बीमारी के शिकार हैं उनके इलाज का खर्च सरकार वहन करें। हर व्यक्ति अपने परिवार के लिए महत्वपूर्ण होता है और वह कमाने वाला है तो परिवार का पालन पोषण की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर होती है। ऐसे में सरकार सभी को एक-एक करोड़ मुआजवा दे। यह सही है कि इस मुआवजे से मृतक की कमी तो पूरी नहीं हो सकती मगर उनके परिवार का जीवन यापन और अन्य सुविधाएं जो आवश्यक होती हैं वो तो पूरी होती रहे इसलिए सरकार इस मामले में सरकारें एक ही नीति अपनाएतो वो समाजहित में हैं। सभी जानते हैं कि सत्ताधारी दल को वहां तक पहुचंाने में देश के मतदाता का एक समान योगदान रहता है तो फिर मुआवजे में अंतर क्यों।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
कोरोना में मरने वालों के सभी परिवारों को सरकार दें एक करोड़ का मुआवजा
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