मेरठ / मुजफ्फरनगर 06 अक्टूबर (प्र)। मंसूरपुर थाना पुलिस ने फर्जी आरसी (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) व कागजात तैयार कर कार बेचने वाले अंतरजनपदीय गिरोह के मेरठ निवासी तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। तीनों आरोपी शहजाद मलिक, निवासी गांव गगोल और प्रवीन कुमार व रविंद्र निवासी शास्त्रीनगर आरटीओ कार्यालय में लिपिक पद पर तैनात रहे। दीपक के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा करते हैं।
दीपक गिरोह का मास्टरमाइंड है उसे पुलिस तलाश रही है वह वर्तमान में आगरा आरटीओ कार्यालय में तैनात है। पुलिस ने पांच लग्जरी कार, दो फर्जी नंबर प्लेट, दो फर्जी आरसी व फाइनेंस से संबंधित अन्य फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं।
एसपी सिटी सत्य नारायण प्रजापत ने बताया कि रविवार को मंसूरपुर पुलिस ने शाहपुर रोड की तरफ से आ रही धार को रोका तलाशी लेने पर दो फर्जी नंबर प्लेट, दो आरसी, फाइनेंस से संबंधित अन्य फर्जी दस्तावेज बरामद हुए। तीनों आरोपी धार में सवार थे। पूछताछ के बाद पुलिस ने फर्जी कागजात वाली चार कार चौकी बेगराजपुर स्थित खाली पड़े प्लाट से बरामद कीं।
कार लोन कराकर तैयार करते हैं फर्जी आरसी
तीनों आरोपियों ने बताया कि वह मेरठ के संभागीय परिवहन विभाग (आरटीओ) के क्लर्क दीपक के साथ गिरोह चलाते हैं गिरोह कार फाइनेंस कराकर कार के कागजात बनवाकर बेचता है। कार लेने के बाद पांच छह माह तक किस्त दी जाती है। इसके बाद किश्त बंद कर देते हैं। कार की आरसी पर फाइनेंस कंपनी से लोन कराया जाना लिखा होता है। आरटीओ का क्लर्क फर्जी एनओसी व फर्जी आरसी व अन्य कागजात तैयार करता है। इसके बाद फाइनेंस कराई कार को बेचते हैं।
चार से छह लाख रुपये लेता है दीपक
एसपी सिटी ने बताया कि आरोपी अब से पहले भी कई कार बेच चुके हैं। आरटीओ का लिपिक छोटी कार के चार लाख व बड़ी कार के छह लाख रुपये अपने काम के लेता है। गिरोह के सदस्य मेरठ निवासी दीपक, महकार व जितिन की तलाश की जा रही है।
डीएल बनवाने का काम करता है रविंद्र
गिरफ्तार आरोपी रविंद्र मेरठ में आरटीओ कार्यालय के बाहर बैठकर ड्राइविंग लाइसेंस आदि बनवाने का काम करता था। वह वहां आने वाले लोगों को सस्ते दाम में कार दिलाने का झांसा देकर फंसाता था दीपक विभाग में अपनी आईडी का इस्तेमाल कर एनओसी व आरसी बनाता था पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही है। सूत्रों का कहना है कि पुलिस उसके करीब पहुंच गई है।
थार और महेंद्रा एक्सयूवी कार बेचीं
शहजाद ने अपने नाम से दो धार सहित तीन लग्जरी कार फाइनेंस पर निकलवाई हैं। शहजाद ने स्कॉर्पियो कार बारह लाख में बेची थी। आरोपी महकार ने महेंद्रा एक्सयूवी अपने नाम निकलवा कर नूर मोहम्मद को बेची दी थी। दो कार बेची जा चुकी हैं। उनका मालिकाना हक भी ट्रांसफर करा दिया था लेकिन दो कार सौंपी नहीं थी। गिरोह में मुख्य आरोपी शहजाद अपने नाम से कार निकलवाता है।
मृतक आश्रित है दीपक, प्रवीन सात साल से चला रहा आरटीओ का कैश काउंटर
मेरठ आरटीओ कार्यालय में तैनात रहे गिरोह के मास्टर माइंड दीपक को मृतक आश्रित में नौकरी मिली है। वहीं, आरोपी प्रवीन कुमार सात साल आरटीओ कार्यालय का कैश काउंटर चला रहा है। यह पहला मामला नहीं जब मेरठ आरटीओ कार्यालय में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। इससे पहले भी यहां बाहरी लोग सरकारी कर्मचारियों से मिलकर फर्जीवाड़ा करते रहे हैं।
आरटीओ विभाग से जानकारी मिली है कि लिपिक दीपक कुमार अपने पिता भोला सिंह की मृत्यु के बाद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बने थे। कुछ समय बाद इसने इंटर मीडिएट की परीक्षा पास कर ली। इसके बाद विभाग ने पदोन्नति कर उसे लिपिक बना दिया। लगभग तीन साल तक एक ही सीट पर रहकर वह फर्जीवाड़ा करता रहा। मेरठ में तैनाती के दौरान दीपक आरटीओ कार्यालय में टीआर सेक्शन में बतौर लिपिक वाहनों के ट्रांसफर, डुप्लीकेट आरसी, आरसी से ऋण काटना और चढ़ाना, वाहन सरेंडर कराने आदि का कार्य देखता था 15 जून 2025 को उसका स्थानांतरण किया गया था।
नेता का रिश्तेदार बताता है प्रवीन, ट्रांसपोर्टर है रविंद्र
प्रवीन कुमार सरकारी कर्मचारी भी नहीं है लेकिन वह स्वयं को एक नेता का रिश्तेदार बताता है। वह मेरठ आरटीओ कार्यालय में नंबर 19 कैश काउंटर पर बैठता है। तीसरा आरोपी रविंद्र यादव गढ़ रोड पर ही गजानंद ट्रैवल्स चलाता है।