Wednesday, November 12

श्रृंगी ऋषि आश्रम के समेकित विकास के लिए दो करोड़ मंजूर

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मेरठ 12 नवंबर (प्र)। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने महाभारत सर्किट अंतर्गत मेरठ जिले के परीक्षितगढ़ स्थित श्रृंगी ऋषि आश्रम के समेकित पर्यटन विकास की महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी है। श्रृंगी ऋषि आश्रम को लेकर मान्यता है यहीं से कलयुग की शुरुआत हुई थी। महाभारत काल के साक्षी रहे श्रृंगी ऋषि आश्रम के समेकित विकास के लिए राज्य सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2025-26 में दो करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। यह जानकारी उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी।

पर्यटन मंत्री ने बताया उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग राज्य के धार्मिक स्थलों के आसपास पर्यटक सुविधाओं का तेजी से विकास कर रहा है। इस प्राचीन स्थल का विशेष धार्मिक महत्व है। द्वापर युगीन पौराणिक भूमि को पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जा रहा है। पर्यटन विकास के तहत सौंदर्यीकरण, प्रकाश व्यवस्था, सूचना केंद्र, शौचालय, पेयजल व्यवस्था, विश्राम स्थल का निर्माण आदि सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

उधर, मान्यता है कि अर्जुन के पौत्र और अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित शिकार करने जंगल गए थे। उन्हें तेज भूख और प्यास लगी। वह एक आश्रम में पहुंचे तो उन्होंने ऋषि शमीक को तपस्या में लीन देखा। राजा परीक्षित ने ऋषि शमीक को उठाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं जागे। परीक्षित ने पास पड़े सांप को ऋषि शमीक के गले में डाल दिया। इस पर ऋषि शमीक के पुत्र श्रृंगी ने देख लिया। पिता के अपमान से क्रोधित श्रृंगी ने राजा परीक्षित को सर्पदंश से मृत्यु का श्राप दे दिया।

बताते चले कि राजा परीक्षित की तक्षक नाग के दंश से मृत्यु हो गई। राजा परीक्षित की मृत्यु के पश्चात पुत्र जन्मेजय ने क्रोधित होकर सर्प जाति को समाप्त करने का संकल्प लिया। जन्मेजय ने श्रृंगी आश्रम में यज्ञ शुरू किया और सांपों की आहुति देने लगे। तक्षकनाग ने इंद्रदेव से मदद मांगी। भगवान इंद्र के समझाने के बाद जन्मेजय ने यज्ञ रोक दिया। मान्यता है इसके बाद से आश्रम में सांप किसी को डसता नहीं है। श्रृंगी आश्रम को कलयुग की शुरुआत का स्थल माना जाता है।

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