मेरठ 03 दिसंबर (प्र)। मुरादनगर के रहने वाले जुनैद अख्तर ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई 2022 में पूरी कर सफल हुए। दो महीने पहले उन्हें कालेज से डिग्री मिली। यह डिग्री 15 दिसंबर 2022 को जारी की गई थी। वह अपनी डिग्री पाकर अस्वस्थ थे कि चार दिन पहले उनके घर पर एक और एलएलबी की डिग्री पहुंच गई। दो-दो डिग्री देखकर जुनैद खुश होते, उससे पहले ही उनकी नजर डिग्री के सीनियर नंबर पर पड़ी। दोनों डिग्री एक ही तिथि पर जारी हुई लेकिन दोनों का सीरियन नंबर अलग-अलग है। अब उन्हें यह समझ में नहीं आया कि उसमें से सही कौन सा मानें और गलत किसे समझें। क्योंकि विश्वविद्यालय के रिकार्ड में कोई एक ही दर्ज होगी और यदि उनकी डिग्री का वेरीफिकेशन आया और वह दूसरे सीरियल नंबर वाली डिग्री निकली तो उसे फर्जी करार दे दिया जाएगा। अपनी परेशानी लेकर जुनैद ने विश्वविद्यालय से गुहार लगाई है कि उन्हें यह बताया जाए कि वह किस डिग्री को सही मानकर इस्तेमाल करें।
नैक मूल्यांकन और रैंकिंग उपलब्धियों की सीढ़ियां तेजी से चढ़ने वाले विश्वविद्यालय की नाक के नीचे ऐसी गलतियां बार-बार देखने को मिल रही हैं। मार्कशीट और डिग्री सेक्शन की ओर से की जा रही इस तरह की गलतियों से परेशान छात्रों ने मंगलवार को कुलसचिव डा. अनिल कुमार का घेराव कर डिग्री और मार्कशीट से जुड़ी समस्याएं बताई। छात्रों ने दो डिग्री जारी करने की जानकारी देने के साथ ही बताया कि अन्य छात्र पवन वर्मा की डिग्री न यूनिवर्सिटी के पास है और न ही कालेज के पास मामले को आइजीआरएस पर डालने के बाद गलत जवाब विश्वविद्यालय की ओर से अपलोड कर दिया गया। इतना ही नहीं बहुत से छात्रों की डिग्री गलत पते पर भेज दी गई। छात्रों ने ऐसे वीडियो भी दिखाए जिसमें विश्वविद्यालय से भेजी गई डिग्री के लिफाफे पर कुछ और नाम और पता लिखा था, लेकिन जब लिफाफा खोला गया तो उसमें से किसी दूसरे छात्र के नाम की डिग्री मिली। विनीत चपराना, अंकित अधाना, रोहित गुर्जर, गौरव पाल, प्रमोद शेरगढ़ी, योगेश सैनी, दिवाकर सैनी, सौरभ राजपूत आदि छात्रों ने कुलसचिव के बाद परीक्षा नियंत्रक वीरेंद्र कुमार मौर्य का भी घेराव कर गोपनीय विभाग की खिड़कियों पर धांधली और अतिरिक्त वसूली का आरोप लगाते हुए सभी मामलों की जांच उच्च स्तरीय समिति से कराने की मांग की।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय कुलसचिव डा. अनिल कुमार यादव का कहना है कि विश्वविद्यालय से दो डिग्री जारी होना गंभीर मामला है। इस जांच कराएंगे कि किस स्तर पर यह चूक हुई है। प्राथमिक जांच में पता चला है कि छात्र ने पहले कालेज से डिग्री मांगी थी। वहां नहीं मिलने पर विश्वविद्यालय में आवेदन किया। इसी बीच कालेज से डिग्री मिल जाने पर भी छात्र ने विश्वविद्यालय का आवेदन रद नहीं कराया और यहां से भी डिग्री भेज दी गई। दोनों आवेदन की अलग प्रक्रिया में दो अलग सीरियल नंबर की डिग्री एक ही छात्र की जारी हो गई, जो कि होना नहीं चाहिए। छात्र भी ध्यान रखें कि उन्हें यदि कालेज से डिग्री मिल जाए तो विश्वविद्यालय का आवेदन रद कराकर अपना रिफंड ले सकते हैं।
