मेरठ 29 नवंबर (प्र)। दिल्ली-मेरठ रैपिड कॉरिडोर ने परतापुर से गुजर रही रेलवे लाइन को सफलतापूर्वक पार कर लिया है। हालांकि यह प्रक्रिया कई चरणों में पूरी की गई। इसमें दो पोर्टल पिलर्स (यू शैल बीम) निर्मित किए गए हैं और उसके ऊपर स्टील से बने दो स्पेशल स्पैन भी स्थापित किए गए हैं। शहरवासियों को मेरठ मेट्रो की सुविधा प्रदान करने के लिए परतापुर स्थित रेलवे लाइन को पार करना अनिवार्य था। सड़क मार्ग पर यातायात के लिए पहले से ही एक फ्लाईओवर है। आरआरटीएस कॉरिडोर को भी मेरठ की दिशा में जाने के लिए रेलवे लाइन को पार करना अवश्यक था।
इसके लिए दो स्पेशल स्टील स्पैनों को निर्धारित योजना के तहत रेलवे से न्यूनतम अवधि के लिए रूट ब्लॉक करके उच्च क्षमता वाली क्रेनों की सहायता से स्थापित किया गया है। एनसीआरटी अधिकारियों के अनुसार इन स्टील स्पैन्स पर रेल के आने और जाने के लिए दो ट्रैक बनाए जाएंगे। इन दोनों स्टील स्पैन की लंबाई लगभग 45 मीटर है और इन दोनों का वजन करीब 700 टन है। इन स्टील स्पैन की विशेषता यह है कि इन्हें कम्पोजिट स्टील की मदद से तैयार किया गया है।
आरआरटीएस कॉरिडोर के बन जाने पर यहां पर नमो भारत ट्रेनें रेलवे लाइन को करीब 19 मीटर की ऊंचाई पर पार करेंगी। आरआरटीएस कॉरिडोर के एलिवेटेड सेक्शन में वायाडक्ट के निर्माण के लिए एनसीआरटीसी आमतौर पर औसतन 34 मीटर की दूरी पर पिलर निर्माण करता है। हालांकि, कुछ जटिल क्षेत्रों में जहां कॉरिडोर नदियों, पुलों, रेल क्रॉसिंग, मेट्रो कॉरिडोर, एक्सप्रेसवे या ऐसे अन्य मौजूदा ढांचों को पार कर रहा है वहां पिलर्स के बीच इस दूरी को बनाए रखना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं होता। ऐसे क्षेत्रों में पिलर्स को जोड़ने के लिए स्पेशल स्पैन का उपयोग किया जाता है। इन दो स्टील स्पैन के स्थापित होने से 82 किमी लंबे दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर 70 किमी लंबे एलिवेटेड हिस्से में अब तक स्थापित किए गए स्पेशल स्टील स्पैन की संख्या और बढ़ गई है।