नई दिल्ली 29 नवंबर । दुबई में शुरू हो रही जलवायु वार्ता से ठीक पहले आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि चीन को छोड़कर बाकी सभी देशों में पिछले नौ सालों के दौरान कोयला बिजली निर्माण में महत्वपूर्ण गिरावट आई है।
ग्लोबल कोल प्लांट ट्रैकर की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार इस साल अक्टूबर तक नए निर्माणाधीन कोयला बिजलीघरों की क्षमता का आंकड़ा दो गीगावाट तक भी नहीं पहुंच पाया है। जबकि उससे पहले के आठ सालों का औसत प्रतिवर्ष 16 गीगावाट दर्ज किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि चीन को छोड़कर बाकी सभी देशों में नई कोयला बिजली निर्माण क्षमता में गिरावट दर्ज की गई है। जबकि चीन में इसमें लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।
रिपोर्ट के अनुसार जलवायु वार्ता में इस मुद्दे पर चीन के मामले पर चर्चा के अलावा एक विषय यह भी विचार का होगा कि अभी 131 कोयला बिजली परियोजनाएं मंजूर हैं जो चीन के बाहर हैं। इन्हें हतोत्साहित करने के प्रयास जरूरी है। इस बीच एक अच्छी बात यह हुई है कि 2023 के पहले नौ महीनों में, 18.3 गीगावॉट क्षमता की कोयला परियोजनाएं प्रस्तावित श्रेणी से हटाकर स्थगित श्रेणी में आ गई हैं। इस गिरावट के बावजूद, 15.3 गीगावॉट के नए प्रस्ताव विचाराधीन हैं। इनमें भारत में 8.6 गीगावॉट, इंडोनेशिया में 2.5 गीगावॉट, कजाकिस्तान में 4.1 गीगावॉट और मंगोलिया 0.05 गीगावॉट शामिल हैं। पहले से बंद या रद्द की गई। 4.2 गीगावॉट क्षमता की परियोजनाओं पर अब पुनर्विचार किया जा रहा है।
ग्लोबल कोल पॉवर ट्रैकर के प्रोजेक्ट मैनेजर, फ्लोरा चैम्पेनोइस ने डेटा के महत्व पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जलवायु वार्ता से पहले कोयला योजनाओं में यह रुझान एक स्वागत योग्य घटनाक्रम है। नई कोयला परियोजनाओं की समाप्ति के साथ शुरू होने वाले वैश्विक कोयला से क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन को तेज करने में सरकारों, बैंकों और सभी हितधारकों की भूमिका है।