जब से राजनीति में भाजपा नेता डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को सक्रिय होते देखा है तब से हमेशा एक बात विशेष तौर पर नजर आई कि वो सबसे अलग दृष्टिकोण अपनाकर या अगर कहीं कोई नजरअंदाज हो रहा है तो उसका हक उसे दिलाने के लिए काम करने में में अग्रणी भूमिका निभाते चले आ रहे हैं। शुरू से ही अपने दबंग स्वभाव और स्पष्टवादिता आम आदमी से नजदीकी उनकी पहचान बनी रही है। इसके चलते ही काम ना करने वाले लापरवाह प्रवृति के हुक्मरान उनसे घबराते रहे हैं और सहयोगी नेता भी उनके सामने गलत बोलने की हिम्मत आसानी से नहीं करते हैं। क्योंकि वो जो खड़तल जवाब देते हैं उससे सामने वाले की गलतफहमी और फितुर का पानी अपने आप उतर जाता है।
अपनी इसी कार्यशैली के चलते उन्होंने राज्यसभा में एमएसएमई सेक्टर में बड़े घरानों की होती एंट्री और बढ़ते व्यापार के साथ हर क्षेत्र में सक्रिय छोटे कामगार दर्जी मोची या सर्राफ हाथ के दस्तकार की आवाज उठाकर देश की आधे से ज्यादा मध्यम दर्जे की आबादी जो कष्टों में गुजर बसर करती है के साथ साथ आम आदमी का दिल भी जीत लिया। उनकी मांग कि छोटे व्यवसाय मंे बड़े घरानों के ब्रांडों के आ जाने से मध्यम व्यापारियों व कारीगरों का रोजगार खत्म होगा पर केंद्र को प्रयास करने होंगे जिससे यह छोटे मध्यम व्यापारी कारीगर बचे रहे। राज्यसभा सदस्य और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत की इस मांग का क्या असर होगा और कितनी कार्रवाई हो पाएगी यह तो वक्त ही बता पाएगा लेकिन एक बात स्पष्ट हो गई कि मध्यम दर्जे का व्यक्ति उनसे जाकर अपनी बात कह सकता है। और समाधान की मांग भी कर सकता है।
डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी गली मोहल्लों में निवास करने वालों के काफी नजदीक रहे हैं इसलिए उन्हें जमीनी जानकारी भी है। वाजपेयी जी आपने एक विशेष दर्जे के पात्र व्यक्ति जिसके उपर समाज की मुख्यधारा की व्यवस्था टिकी है की आवाज उठाकर बड़ा ही सराहनीय कार्य किया है। ऑल इंडिया न्यूज पेपर एसो. के राष्ट्रीय महामंत्री अंकित बिश्नोई की इस मांग पर भी ध्यान दीजिए कि जब से केंद्र में भाजपा की सरकार आई है डीएवीपी आरएनआई और सूचना विभाग के कुछ अधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों को गुमराह कर इनको बंद कराने के कगार पर पहुंचा दिया गया है और बड़ी तादात में इन विभागों के अफसरों के कारण लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के इस वर्ग के काफी प्रकाशन इनके उत्पीड़न के चलते बंद हो चुके हैं। उनकी भी समस्या का समाधान कराईये। मांग बिल्कुल सही है। क्योंकि आपकी कार्यप्रणाली को देखकर हमेशा ही यह लगा कि आप हर क्षेत्र में सक्रिय नागरिकों की समस्याओं का समाधान कराने में अग्रणी भूमिका निभाते रहे हैं अगर वो आप तक बात पहुंचा सके तो। इसके लिए मैंने देखा कि कभी कभी आप अपनों से भी भिड़ जाते हैं और शायद यही बुढ़़ाना गेट की राजनीति से शुरू हुआ सफर आज पार्टी और सरकार में आज महत्वपूर्ण स्थान पर विराजमान है। वाजपेयी जी पिछले तीन से एक बात आपके कर्म और जन्म क्षेत्र में सुनता चला आ रहा हूं कि कही भी कोई भी घटना हो पुलिस से पहले वाजपेयी जी पहुंच जाते हैं। यह भावना हिंदु मुस्लिम सभी वर्ग के नागरिकों में सुनने को मिलती है। शायद उसी के चलते आपने गरीब मोची और दर्जी की बात उठाई है। अफसोस यह है कि अपने क्षेत्र के लघु और भाषाई समाचार पत्रों से आप निरंतर जुड़े रहे हैं और उनकी समस्याओं को जानते है। उनकी परेशानी उठाने से आप कैसे चूक गए।
दर्जी मोची आदि की आवाज उठाकर वाजपेयी जी आपने किया सराहनीय काम, नेताजी कुछ भाषाई समाचार पत्रों की समस्याओं के समाधान के बारे में भी सोचिए
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