मेरठ 27 फरवरी (प्र)। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और यूपी के माननीय सीएम योगी आदित्यनाथ जी हर बच्चे को साक्षर और पढ़ लिखकर काबिल बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे है और इसके लिए बड़े शहरों महानगरों व गांव देहातों तथा आदिवासी इलाकों में अभियान भी चलाये जा रहे है। लेकिन कई कारणों से एक जमाने में बहुत अच्छी स्थिति में सम्मानजनक रूप से चलने वाले स्कूलों में बच्चों की संख्या निरंतर कम होती जा रही है। बताते है कि इसका मुख्य कारण यह है कि अभिभावक अपने बच्चों को हिन्दी सहित सारी भाषाऐं तो सिखाना चाहते है लेकिन उन स्कूलों में भेजना चाहते है जहां अंग्रेजी भी हर क्लास में नियमित पढ़ाई जाती हो। इसी वजह से गांव और कस्बों की तो बात दूर शहरों के कुछ महिला विद्यालय जो प्रमुख मार्गों पर होने के चलते वहां बच्चों का पहुंचाना भी आसान है लेकिन अंग्रेजी विषय न होने के चलते बच्चों की संख्या बढ़ नहीं पा रही है।
चर्चा है कि कुछ स्कूल संचालक व प्रधानाचार्या इस संदर्भ में भरपूर प्रयास कर रहे कि पीएम और सीएम की भावनाओं के तहत ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूलों में आये मगर यहां एक मौखिक चर्चा अनुसार डीआईओएस सेकैंड जो जीआईसी स्कूल के निकट बैठते है उनके द्वारा आवेदन करने या संचालकों आदि के मिलने पर यह कहकर कि अंग्रेजी विषय पढ़ाने की अनुमति देने से इनकार किया जा रहा है कि बच्चे कम है। सवाल उठता है कि बच्चे तो तभी बढ़ेंगे जब हर विषय की शिक्षा स्कूल में दी जाएगी। और खासकर गर्ल्स स्कूलों में तो ये और भी अनिवार्य है क्योंकि अंग्रेजी आना हिन्दी के साथ भी अनिवार्य समाज में अपना प्रमुख स्थान कायम करने के लिए जरूरी है। कितने लोगों का कहना है कि जो भी स्कूल संचालक व प्रधानाचार्य अपने स्कूलों में सब विषय की उपलब्धता हेतु अंग्रेजी की अनुमति चाहते है उन्हें माननीय प्रधानमंत्री जी की भावनाओं को ध्यान में रहते हुए डीआईओएस सेकेंड सर्वेश कुमार को देनी चाहिए क्योंकि स्कूलों को अनुमति अंग्रेजी पढ़ाने की तुरंत मिलने से बच्चों और अभिभावकों का सम्मान बढ़ेगा। इस मामले में कुछ जनप्रतिनिधियों का कहना था कि अगर इस संदर्भ में कोई लिखित शिकायत मिलेगी तो डीआईओएस सेकेंड के विरूद्ध विधानसभा में सवाल उठाने के अतिरिक्त पीएम और सीएम को भी की जाएगी शिकायत।