आज हम विश्व स्वास्थ्य दिवस मना रहे हैं। चिकित्सा सुविधा से संबंध सरकारी चिकित्सकों द्वारा नागरिकों के स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावे किए जा रहे हैं। भगवान करे कि नागरिकों को ऐसी सुविधाएं भले ही अब तक ना मिल पा रही हो भविष्य में मिलने लगे तो समाज स्वास्थ्य विभाग से संबंध लोगों का बड़ा आभारी रहेगा।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि केंद्र व प्रदेश सरकारें पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में अपने विभागों के माध्यम से जरूरतमंदों को सस्ती और निशुल्क चिकित्सा उपलब्ध कराने हेतु स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार युद्धस्तर पर कार्य किए जा रहे हैं। बजट भी दिया जा रहा है। मेडिकल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नवरत्न गुप्ता कह रहे हैं कि बच्चों को मेडिकल में उपचार की सभी सुविधाएं हैं। ऐसे ही दावे अन्य चिकित्सक भी करते चले आ रहे हैं। भगवान करे गर्भवती महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य ठीक रहे। लेकिन जैसा कि आए दिन समाचार पत्रों में खबरें पढ़ने को मिलती है उनसे से ऐसा नहीं लगता कि जो दावे किए जा रहे हैं उसके अनुकूल सुविधाएं उपलब्ध हैं। मेरा मानना है कि केंद्र व प्रदेश के चिकित्सा मंत्री और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हर जिले से सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं का आंकड़ा कराए और फिर कुछ जिलों में अपने प्रतिनिधि भेजकर जनता से फीडबैक लिया जाए तो ही स्थिति स्पष्ट हो सकती है। समाचार पत्रों में कुछ चिकित्सकों द्वारा किए जाने वाले दावों ये यह सिद्ध नहीं होता है कि आम आदमी चिकित्सा से संतुष्ट है।
मेरा चिकित्सा से संबंध जनप्रतिनिधियों अधिकारियों से आग्रह है कि वो पता कराएं कि जनपदों में विभिन्न बीमारियों की रोकथाम के लिए कितने जागरूकता अभियान चलाए गए कितनी गोष्ठियां कराई। तभी पता चल पाएगा कि गर्भवती महिलाओं को सुविधाओं का कितना लाभ और नवजात बच्चे कितना स्वास्थ्य प्राप्त कर पा रहे हैं। चिकित्सा के हर मामले में आंकड़ों की नहीं उपलब्धियों की आवश्यकता है। मगर लगता नहीं कि सरकारी नीति के अनुसार अभियान गर्भवती महिलाओं व नवजातों के लिए सीएमओ नहीं चला पा रहे हैं। यह सही है कि सरकार प्रयासरत है मगर सहयोगी उस स्तर पर काम नहीं कर रहे लगते हैं।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सरकारी नीतियों के अनुसार जनता को उपलब्ध हों सस्ती व सुलभ चिकित्सा सुविधाएं
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