दौराला, 17 जुलाई (प्र)। हिंदू धर्म में पंचक की महत्ता अधिक है। पंचक लगने पर हिंदू धर्म के लोग कोई शुभ कार्य नहीं करते। वर्तमान में कांवड़ यात्रा चल रही है और लाखों की संख्या में कांवड़िये हरिद्वार, ऋषिकेश, गंगोत्री आदि स्थानों पर गंगा जल लेने के लिए पहुंचे हैं, लेकिन पंचक लगने के कारण वह कांवड़ नहीं उठा पा रहे हैं।
17 जुलाई की मध्यरात्रि पंचक समाप्त हो रहे हैं। ऐसे में 18 जुलाई से कांवड़ियों का सैलाब हाईवे पर देखने को मिलेगा। 11 जुलाई को श्रावण मास की शुरुआत हुई है। इसी के साथ कांवड़ यात्रा का आरंभ हो गया था। इस बीच 13 जुलाई की शाम 5रू48 बजे पंचक लग गए। इससे पहले ही दूरदराज व दूसरे राज्यों से आने वाले कांवड़ियों ने हरिद्वार व अन्य जगहों से गंगाजल उठा लिया था और अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गए थे। इस वर्ष इनकी संख्या गंगनहर की पटरी व हाईवे पर पहले ही देखी गई, जबकि शिवरात्रि से कुछ दिन पहले ही यह कांवड़िये गंगाजल लेकर रवाना होते हैं।
17 जुलाई को मध्यरात्रि के बाद 3ः38 बजे पंचक समाप्त होंगे और रात में ही कांवड़िये गंगाजल लेकर रवाना हो जाएंगे। 18 जुलाई की शाम व रात तक हाईवे पर कांवड़ियों के जत्थों का सैलाब देखने को मिलेगा। कस्बा निवासी पंडित चंद्रकांत शर्मा का कहना है कि हिंदू धर्म में पंचक लगने के समय कोई शुभ कार्य नहीं होता है। कांवड़ शिव की आस्था का प्रतीक है और पंचक में कांवड़ उठाना अशुभ है, इसलिए अभी कांवड़ियों की भीड़ कम दिखाई दे रही है।
