मेरठ 14 फरवरी (प्र)। समृद्धि सिद्धी के अमृत योग में आज बंसत पंचमी का त्यौहार धूमधाम से शहर में मनाया गया। कहीं फूलों की महक मंत्र मुग्ध कर रही थी तो कहीं आसमान में उड़ती रंग बिरंगी पतंगे देखकर मन प्रफुल्लित हो रहा था। तो इस अवसर पर शहर के घरों की छत पर बज रहे बंसत से संबंध फिल्मी गानों पर मन झूमने लगता था। घरों में आज इस शुभ मौके पर परिवार की महिलाओं ने बड़े ही मन से बनाये पीले चावल खिचड़ी और ताहरी जब दही आचार पापड़ और घी के साथ परोसी तो बिना भूख के भी मन उसमें से उठ रही मनमोहक महक के चलते थाली की ओर खिंचा चला जा रहा था। आज सुबह से ही चारों तरफ पतंग गाने और वो लूटा वो काटा की आवाजों से गली मौहल्ले तथा बाजार गूंज रहे थे। बाजारों में भी जयपुर के साथ ही बरेली आदि की पतंगे भी खूब उड़ती नजर आई। कुछ लोग जो इक्ट्ठी पतंग माझा और डोर खरीद सकते थे वो तो पूर्व में ही थोक में खरीद चुके थे। मगर जो ग्रामीण कहावत तुरंत कुंआ खोदना और पानी पीना की श्रेणी में थे वो आज भी शहर की दुकानों में पतंग की खरीदारी करते दिखाई दिये।
एल्फा ब्रेकरी
होटलों में भी आज वेलेन्टाइन डे व बंसत होने की बजह से काफी गहमागामी रही क्योंकि प्रेमी और शांत प्रिय लोग होटल और रेस्टोरेंट में जाकर इस उत्सव का मजा ले रहे थे। तो बंसत और वेलेंटाइन डे को लेकर सदर स्थित एल्फा ब्रेकरी आदि में विशेष प्रकार के केक बनाये गये थे एल्फा ब्रेकरी के संचालन भाजपा व व्यापारी नेता संदीप गुप्ता एल्फा का कहना था कि हमने ग्राहकों की इच्छा अनुसार आर्डर पर केक तैयार करने के अतिरिक्त अपनी तरफ से भी छोटे बड़े सुन्दर केक और पेस्टी बनाई हुई थी जिनकी बिक्री काफी अच्छी रही। तो वेलेंटाइन डे को ध्यान में रख और अपनी दोस्त को खुश रखने के लिए फूलों के साथ साथ सोने की अंगूठी और चैन की बिक्री की खबर भी सुनाई दी। जिलों में सरसों के पीले फूलों से लहलहाते खेत और इनका बड़ा रकबा ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों को भी उत्साहित करने में सफल था और शहर के साथ ही गांव देहात और कस्बों में भी खूब धूमधाम से बनाया गया बसंत। चीनी माझे पर भरपूर रोक के बावजूद दावे से ये नहीं कहा जा सकता कि उसकी बिक्री नहीं हुई लेकिन खबर लिखे जाने तक कहीं से कोई बड़ी घटना इसको लेकर हुई हो वो सुनाई नहीं दी। मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी थी। पतंगों से आसमान इंद्रधनुषी हो गया था जहां तक दिखाई और सुनाई दे रहा था उसे यही स्पष्ट हो रहा था कि भले ही कोई किसी भी हालत में क्यों न हो वो अपने अपने हिसाब से मस्त था। पतंगबाज वो काटा वो काटा ही कर रहे थे जिन बच्चों को पतंग नहीं उड़ानी आती वो भी उन्हें फाड़ने में भी मायूस नहीं दिखाई दिये।
बंसत पचंमी का त्योहार देश के कोने कोने के साथ साथ दुनिया भर में रहने वाले भारतवंशी भी इस त्यौहार को मनाने में लगे बताये गये। अगर आसमान में पतंगों का जोर था तो सोशल मीडिया के सभी मंचों पर सब एक दूसरे को बसंत और वेलेंटाइन डे की बधाई व शुभकामनाऐं दे रहे थे। कुल मिलाकर सुबह से शाम तक चारों तरफ उमंग उत्साह और प्रशंनता ही नजर आ रही थी। और यह सोचने के लिए प्रेरित कर रही थी कि भगवान अगर रोज ही बंसत का सा माहौल बना दे तो क्या ही अच्छा हो क्योंकि किसी को कोई समस्या या कठिनाई हो ऐसा नजर नहीं आ रहा था। मस्ती करने वाले मौज मना रहे थे तो काम करने वाले भी मुस्कुराते चेहरों से अपने काम को अंजाम दे रहे थे और बच्चों के खुश चेहरे मां बापों को कर रहे थे निहाल। (प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए पूर्व सदस्य मजीठिया बोर्ड यूपी संपादक व पत्रकार)