Wednesday, November 6

सीसीएसयू के इतिहासकार युवा पीढ़ी को सिखाएंगे संस्कार

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मेरठ 05 नवंबर (प्र)। मेरठ और बागपत के इतिहासकारों ने युवा पीढ़ी तक संस्कार पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। सीसीएसयू के इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. कृष्णकांत शर्मा के नेतृत्व में चार इतिहासकारों की टीम बनाई गई है, जो विवि से जुड़े कॉलेजों में कार्यक्रम कर युवाओं को संस्कृति का पाठ पढाएगी। सांझी, रागिनी, अहोई चित्रकारी आदि को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए योजना तैयार कर ली है।

आधुनिकता की दौड़ में नई पीढ़ी अपने रीति-रिवाज और प्राचीन परंपराओं को भूल रही है। गांव-शहरों में त्योहार मनाने का ढंग भी बदल गया है। प्राचीन संस्कृति का हिस्सा रही लोक गायकी की परंपरा भी कमजोर पड़ रही है तो त्योहारों पर होने वाली कलाकृतियों से भी नई पीढ़ी अनजान होती जा रही है। इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इतिहासकार चिंतित है और उन्होंने इस कमजोर हो रहे संस्कृति के हस्तांतरण को मजबूत करने का बीड़ा उठाया है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष व प्रख्यात इतिहासकार प्रो. कृष्णकांत शर्मा की अगुवाई में मेरठ, बागपत के इतिहासकार इकट्ठा हुए हैं।

प्रो. कृष्णकांत शर्मा ने बताया कि इतिहासकारों की इस टीम में छात्रों को कराई जाएगी कल्चरल स्टडी राजकीय संग्रहालय झांसी के उप निदेशक और राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय मेरठ के प्रभारी अध्यक्ष डॉ. मनोज गौतम इतिहासकार डॉ. अमित पाठक, शहजाद राय प्राच्य शोध संस्थान बड़ौत बागपत के निदेशक डॉ. अमित राय जैन शामिल हैं।

विलुप्त विरासत को बचाया जाएगा
प्रो. कृष्णकांत के अनुसार शारदीय नवरात्रों के दौरान बनाई जाने वाली सांझी (देवी प्रतिमा) की विरासत लुप्त होती जा रही है। इसके स्थान पर देवी की रेडिमेड प्रतिमा बाजार से लोग खरीद रहे हैं। इसी तरह से दीवार खराब होने से बचाने के लिए लोग अहोई की चित्रकारी भी नहीं कर रहे। देवोत्थान एकादशी में दीवार पर बनने वाले चित्र भी गायब होते जा रहे हैं। इनके स्थान पर कैलेंडर प्रयोग हो रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लोक गायकी रागिनी, आल्हा उदल का गायन भी गायब हो रहा है।

छात्रों को कराई जाएगी कल्चरल स्टडी
विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। लोक गायकों को छात्रों के बीच ले जाकर उन्हें लोक गायकी से परिचित कराया जाएगा। छात्रों को लोक गायन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसी तरह से विलुप्त होती प्राचीन कला को भी निखारने की दिशा में कार्य होगा एमए में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इतिहास पर कल्चरल स्टडी कराई जाएगी। इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया है।

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