मेरठ 14 अगस्त (प्र)। सीबीआई टीम ने 50 लाख रुपये रिश्वत प्रकरण में गिरफ्तार सीजीएचएस के एडिशनल डायरेक्टर के घर पर सर्च ऑपरेशन में 29.50 लाखे की नकदी, करोड़ों की प्रॉपर्टी, शेयर बाजार और म्यूचल फंड निवेश समेत लॉकर बरामद किया है। कार्यालय अधीक्षक के घर से दर्जनों अस्पतालों की सरकारी फाइलें बरामद की गई हैं। तीनों आरोपियों को बुधवार दोपहर गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट में पेश किया, जहा 24 घंटे का पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर किया गया है।
मेरठ में मेडीसिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर ऑपरेशन विशाल कुमार की ओर से 11 अगस्त को सीबीआई की गाजियाबाद को शिकायत में बताया कि 8 जुलाई को सीजीएचएस टीम द्वारा औचक निरीक्षण किया गया। सीजीएचएस पैनल से बाहर करने की धमकी देकर रिश्वत मांगी गई। मंगलवार शाम रिश्वत लेतेे समय सीबीआई ने एडिशनल डायरेक्टर डॉ. अजय कुमार, लवेश सोलंकी और रईस को गिरफ्तार कर लिया।
सीबीआई की टीम ने तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद कार्यालय में छानबीन शुरू कर दी। तीन अस्पताल हाईफील्ड स्पेशलिटी हॉस्पिटल, जेएमसी मेडीसिटी हॉस्पिटल और जैन मेडिकल सेंटर एंड लेजर आई हॉस्पिटल की फाइल कब्जे में ली। इसके अलावा कंप्यूटर समेत आरोपियों के फोन को भी कब्जे में लिया गया। बाकी किन-किन अस्पतालों को नोटिस दिए गए और किस तरह से खेल किया जा रहा था, इसे लेकर भी जानकारी जुटाई गई।
लवेश के घर पर मिली काफी फाइलें
लवेश के जागृति विहार स्थित आवास पर भी सीबीआई टीम ने दबिश दी। यहां पर एक कमरे में दर्जनों अस्पतालों की फाइल मिली। सूत्रों की मानें तो 100 से ज्यादा फाइल बरामद हुई। अब सवाल ये है कि विभागीय फाइल आरोपी लवेश सोलंकी घर पर क्यों लेकर आया था। क्या रिश्वत लेने के बाद फाइलों को घर से ही अस्पतालों को दिया जा रहा था। इन सभी फाइल की जांच के लिए अलग से टीम लगाई है।
करोड़ों का निवेश, दो लॉकर की होगी जांच
सीबीआई को डॉ. अजय कुमार के आवास पर जांच के दौरान एक मकान और बड़े प्लॉट के दस्तावेज समेत काफी प्रॉपर्टी के कागजात मिले। सीबीआई अफसरों ने खुलासा किया कि डॉ. अजय के घर से कुल मिलाकर 29.50 लाख रुपये की नकद राशि बरामद की गई। इसके अलावा परिवार के नाम पर करोड़ों रुपये का निवेश शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में मिला है। इसके अलावा दो लॉकर का पता चला, जिन्हें बैंक में संपर्क कर सील करा दिया गया है। अब आरोपी डॉ. अजय की मौजूदगी में ही लॉकर को खुलवाया जाएगा। सीबीआई अफसरों का मानना है कि एडिशनल डायरेक्टर के भ्रष्टाचार का पूरा चिट्ठा इन लॉकर के खुलने के बाद ही सामने आएगा।
बताते चले कि सीजीएचएस के एडिशनल डायरेक्टर ने 50 लाख रुपये की रिश्वत लेने के लिए 35 दिन बाद यानी 11 अगस्त को हाईफील्ड अस्पताल को पैनल से बाहर कर दिया। इसी रोज जेएमसी मेडीसिटी अस्पताल को पैनल से बाहर करने का नोटिस दिया गया। वहीं, इस कार्रवाई के दौरान सर्वे 8 जुलाई को किया गया, जबकि बाकी नोटिस 22 जुलाई और 11 जुलाई को भेजे गए। आननफानन में अस्पताल के डायरेक्टर विशाल कुमार ने बातचीत का प्रयास किया तो एडिशनल डायरेक्टर और कार्यालय अधीक्षक लवेश सोलंकी ने 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी।
जेएमसी मेडीसिटी अस्पताल के डायरेक्टर विशाल कुमार रोहटा रोड पर जेएमसी मेडीसिटी हॉस्पिटल, पेपला इदरीशपुर में हाईफील्ड स्पेशलिटी हास्पिटल और बैजल भवन के पास ही जैन मेडिकल सेंटर एंड लेजर आई हॉस्पिटल का संचालन करते हैं। विशाल कुमार ने बताया कि 11 जुलाई को उनके तीनों अस्पतालों पर सीजीएचएस की टीम ने सर्वे किया था। अस्पतालों में कमियां बताकर सीजीएचएस के पैनल से बाहर करने की धमकी दी थी। इस दौरान विशाल से 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई। विशाल ने रकम नहीं दी तो सर्वे के तीन सप्ताह बाद यानी 22 जुलाई को नोटिस भेजा गया। विशाल ने बताया कि 11 अगस्त को हाईफील्ड हॉस्पिटल को पैनल से बाहर कर दिया। इसी रोज जेएमसी मेडीसिटी को भी पैनल से बाहर करने के लिए नोटिस भेज दिया गया। विशाल ने बताया कि वह बातचीत करने के लिए सीजीएचएस कार्यालय पहुंचे तो उन्हें धमकाया गया और रिश्वत में 50 लाख रुपये मांगे गए। बताया कि 5-5 लाख रुपये की किश्त हर सप्ताह देने के लिए कहा गया। विशाल ने बताया कि इसके बाद ही सीबीआई को शिकायत की गई।
