Friday, November 22

मुख्यमंत्री जी दे ध्यान! जर्जर तारों खंभो और हाईटेंशन लाईन के कारण अगर कोई मरता है तो उस क्षेत्र के ओएसडी अभियंता आदि को भेजा जाए जेल

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प्रदेश में जब से योगी आदित्यनाथ जी द्वारा सरकार चलाई जा रही है तब से हर व्यक्ति को समय से पूर्ण बिजली की सप्लाई उपलब्ध कराने तथा जर्जर खंभो को बदलवाने एवं हाईटेंशन लाईन जिनसे कभी भी खतरा उत्पन्न हो सकता हो उन्हें वहां से हटवाने और सही कराने के निर्देश दिये जाते रहे है। माननीय ऊर्जा मंत्री एसके शर्मा और पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डा0 आशीष गोयल इन आदेशों और निर्देशो को लागू कराने के लिए की जा रही कोशिशों के तहत ऑन लाईन कांफ्रेसिंग भी कर रहे है समीक्षा बैठकें भी की जा रही है। लेकिन ग्रामीण कहावत ज्यो ज्यो दवा की मर्ज बढ़ता ही गया के समान बिजली वितरण और जर्जर तारों व खंभों तथा हाईटेंशन लाईन से होने वाली दुर्घटनाओं और इनसे मरने व घायल होने वालों की संख्या में कोई कमी होती नजर नही आ रही है।
सवाल यह उठता है कि सरकार भरपूर बजट दे रही है बिजली कर्मियों को सुविधाऐं भी दी जा रही है लेकिन फिर वो कौन से कारण है जो इन दुर्घटनाओं में कमी होने की बजाए बढ़त्तरी हो रही लगती है तथा अपनों को अपनों सेे ही क्यों बिछड़ना पड़ रहा है। माननीय मुख्यमंत्री जी पिछले कुछ माह में अगर पूरे प्रदेश की बात छोड़ दे पश्चिमांचल पावर कारर्पोरेशन के क्षेत्र को ही ले तो राली चौहान मवाना मुजफ्फरनगर कंकरखेड़ा और अब परतापुर के रिठानी आदि गांवों में बिजली की सही व्यवस्था और रखरखाव न होने के चलते जिन लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा इसके लिए जिम्मेदार कौन इसको लेकर भी अब जवाबदेही तय होनी चाहिए।
हो गोपनीय जांच
आये दिन समाचार पत्रों में बिजली सप्लाई और रखरखाव की दयनीय व्यवस्था से जो लोग मर रहे है और उनको लेकर जो खबरें प्रकाशित हो रही है उन्हें पढ़ पढ़कर अब नागरिक यह कहते सुने जाने लगे है कि अगर सरकार अपनी मंशा के तहत इस क्षेत्र में पूर्ण सुधार कराना और लोगों की जो जाने जा रही है उसे रोकना चाहती है तो एक तो हर जनपद में अपने विश्वस्त लोगों की चाहे वो पार्टी के कार्यकर्ता हो या सरकारी विभागों के अधिकारी एक गोपनीय कमेटी बनाकर हर क्षेत्र के जेई ओएसडी और अभियंता की कार्यप्रणाली की जांच कराई जाए कि वो जनसमस्याओं के समाधान के लिए सक्रिय है या नहीं। पीड़ितों से मिलकर उनकी परेशानियों का हल निकालने की कोशिश कर रहे है या नहीं अथवा सुधार और सप्लाई निमित करने के लिए जो सरकार द्वारा बजट दिया जा रहा है वो सुधार पर खर्च हो रहा है अथवा संबंधित अफसर ओएसडी अभियंता आदि अपनी सुख सुविधाओं पर तो खर्च नहीं कर रहे।
अभियंता ओएसडी को भेजा जाए जेल
और जर्जर तारों खंभों और ट्रांसफार्मरों का सुधार मौके के बजाए कागजों में ही तो नहीं दर्शाया जा रहा है और अगर कहीं कमी पाई जाए तो सबसे पहले इन्हें संस्पेंड किया जाए और 1952 अंग्रेजों के समय के नियमों को लेकर अपनी जिम्मेदारियों से बचने और नागरिकों की जान माल की सुरक्षा करने में असफल जिस ओएसडी अभियंता या जेई के क्षेत्र में बिजली की किसी भी कमी के कारण किसी व्यक्ति की जान जाए तो उस क्षेत्र के इन अधिकारी को प्रथम दृष्टिया दोषी मानते हुए ओएसडी अभियंता आदि के खिलाफ थानों में एफआईआर कराकर इन्हें जेल भेजा जाए और फिर चलाया जाए मुकदमा। पीड़ितों द्वारा की जा रही ऐसी मांगों से आम आदमी भी सहमत नजर आता है। और मेरा मानना है कि जब सरकार बजट सुविधाऐं और व्यवस्थाऐं उपलब्ध करा रही है फिर भी जर्जर खंभों तारों और हाईटेंशन लाईन के चलते लोग मर रहे है तो जिम्मेदारी तो इन अधिकारियों की है ही जिससे ये बच नहीं सकते। और ऐसे में औरों को यह सबक देने की कि अगर कमियां रहेगी तो सजा भी भुगतनी होगी। सरकार अपने और जनहित में पीड़ित नागरिकों की मांग को दृष्टिगत रख जल्द से जल्द कार्यवाही करे वो ही अच्छा है।
हाईटेंशन लाईन जर्जर तार व खंभें सही कराये जाए
और पावर कारपोरेशन के सभी एमडीओ को निर्देश दे कि उनके क्षेत्र में जितनी भी हाईटेंशन लाईन खतरनाक स्थिति में उन्हें वहां से हटवाकर सही कराया जाए तथा जर्जर तारों व खंभों को बदलवाया जाए और अब तक जो लोग मरे उसके लिए दोषी मानते हुए उन क्षेत्रों के अफसरों के खिलाफ जनता की सोच के तहत की जाए कार्यवाही।

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