Thursday, July 31

गोबर, पराली व मैली से बनाई जाएगी सीएनजी, हर तहसील में बनेगा प्लांट

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मेरठ 08 अप्रैल (प्र)। किसानों के खेतों से निकलने वाले पराली व अन्य कृषि अपशिष्ट, पशुओं के गोबर तथा कोल्हू से निकलने वाली मैली का निस्तारण शहरों और गांवों की समस्या है। अब इनसे कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) बनाई जाएगी। सरकार ने प्रत्येक तहसील में कम से कम एक-एक प्लांट स्थापित करने का आदेश दिया है। इसके लिए प्रत्येक गांव, ब्लाक और तहसील में इस सामग्री की उपलब्धता का सर्वे कराने के लिए बेंगलुरु की एक संस्था को जिम्मेदारी सौंपी गई है। मेरठ जनपद में वर्तमान में भी दो प्लांट स्थापित हैं, जो रोजाना 20 टन सीएनजी का उत्पादन कर रहे हैं।

पेट्रोल और डीजल के प्रदूषण को कम करने के लिए अब सीएनजी और बिजली से ज्यादा से ज्यादा वाहनों को चलाने की कोशिश की जा रही है। सीएनजी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए इसके उत्पादन के प्लांट भी स्थापित किए जाने हैं। ये प्लांट शहरों में डेरियों से निकलने वाले गोबर और किसानों के खेतों से निकलने वाले कृषि अपशिष्ट के निस्तारण की समस्या का भी समाधान बनेंगे। कोल्ह क्रेशरों से निकलने वाली मैली का निस्तारण करना भी चुनौती है। इन प्लांटों में मैली भी काम आएगी। सरकार ने प्रत्येक तहसील में कंप्रेस्ड बायो गैस (जैव ऊर्जा) प्लांट स्थापित कराने की घोषणा की है। प्लांट निजी होंगे, लेकिन उनकी स्थापना के लिए सरकार सब्सिडी दे रही है। प्रत्येक टन पर 75 लाख तक की सब्सिडी का प्रविधान रखा है।

कहां कितना गोबर, मैली, पराली… सर्वे करेगी एजेंसी
प्रत्येक तहसील में बायो गैस प्लांट स्थापित कराने से पहले सरकार उसके लिए जरूरी कच्चे माल की उपलब्धता का सर्वे करा रही है। इस कार्य के लिए बेंगलुरु की एक संस्था को मेरठ समेत प्रदेश के 13 जनपदों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह संस्था प्रत्येक गांव, ब्लाक और तहसील में उपलब्ध गोबर, कृषि अपशिष्ट की जानकारी लेगी। इनमें से कितने का निस्तारण किया जा रहा है और कितना बचता है। इसकी जानकारी जुटाकर उपलब्ध कराएगी।

एक टन पर 75 लाख सब्सिडी
परियोजना अधिकारी ने बताया कि सीएनजी प्लांट लगाने वालों को सरकार प्रोत्साहित कर रही है। प्रति टन 75 लाख रुपये की सब्सिडी दी जा रही है, जबकि लगभग तीन करोड़ रुपये प्रति टन का खर्च आता है।

शहर में नाले-नालियों में बहाया जा रहा गोबर
परियोजना अधिकारी प्रमोद शर्मा ने बताया कि मेरठ शहर में दो हजार से ज्यादा डेयरियां संचालित हैं। इन्हें शहर के बाहर स्थानांतरित करना चुनौती बना है। इन डेरियों से निकलने वाला गोबर नाले-नालियों में बहाया जाता है। जिससे शहर की जल निकासी बाधित होती है। इस गोबर का समाधान सीएनजी प्लांट है। यदि शहर में स्थान मिल जाए तो गोबर की समस्या का समाधान हो जाएगा और बड़ी मात्रा में सीएनजी बनने लगेगी।

सरधना के खिवाई में नया प्लांट लगाने की तैयारी
यूपीनेडा के परियोजना अधिकारी प्रमोद कुमार शर्मा ने बताया कि मेरठ जनपद में भी तीनों तहसीलों में बायो गैस प्लांट स्थापित कराने के लिए कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में जनपद में दो प्लांट संचालित हैं। इनमें एक मवाना से किला रोड पर बादरपुर गांव में 14 टन का प्लांट है। जबकि दूसरा प्लांट सरधना के जीतपुर गांव में है जो साढ़े पांच टन सीएनजी बनाता है। सरधना के खिवाई में नया प्लांट लगाने की तैयारी है। इसका पोर्टल पर पंजीकरण हो गया है।

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