भावनपुर क्षेत्र के अब्दुल्लापुर में बीएनजी कॉलेज के पीछे खसरा नंबर 90 और 91 में करीब सात हजार वर्गमीटर में काटी जा रही कॉलोनी को मेडा की टीम ने ध्वस्त कर दिया। जिसकी तारीफ भी की जानी चाहिए क्योंकि अवैध निर्माण ऐसे ही रूक पाएंगे। बताते चलें कि प्रदेश सरकार कार्रवाई पर सवाल उठने के बाद उच्च स्तर पर लिए गए फैसले के अनुसार भूमाफिया घोषित करने हेतु नए कानून लाने पर विचार कर रही है। यूपी में भूमाफिया चिन्हित करने हेतु एक मई 2017 को शासन द्वारा जारी आदेश में कहा गया था कि डीएम एसएसपी भूमाफियाओं को चिन्हित करेंगे और सीओ एसडीएम व थाना प्रभारी की एक कमेटी होगी जो किसी व्यक्ति को भूमाफिया घोषित करने के लिए डीएम को रिपोर्ट भेजेगी तब डीएम एसएसपी की कमेटी पर फैसला लेगी मगर जिस प्रकार से कच्ची कॉलोनियां विकसित हो रही हैं और सरकारी जमीनें बेचने कब्जा करने की खबरें पढ़ने को मिलती है उसे देखकर यह लगता है कि जिस स्तर पर 2017 के कानूनों के तहत कार्रवाई होनी चाहिए थी वो नहीं हुई अब शासन नियमों केा सख्त और जिम्मेदारों को और प्रभावी बनाने के लिए नया कानून लाने की तैयारी कर रहा बताते हैं। मंडलायुक्त जी मेडा के अधिकारियों से तो कच्ची कॉलोनियों का विकास निर्माण रोकने की उम्मीद नही की जाती है नागरिकों द्वारा। इसकी जानकारी रखने वाले नागरिकों का कहना है कि मंडलायुक्त विकास प्राधिकरणों के अध्यक्ष भी है। उनके स्तर पर कोई कार्रवाई प्रशासनिक अधिकारियों की कमेटी से कराई जाए तो सरकारी नीतियों का पालन हो सकता है।
कई लोगेां का यह कथन सही प्रतीत होता है कि अब्दुल्लापुर में अवैध कॉलोनी पर बुल्डोजर चलाने वाले अफसरों को मवाना रोड पर जेपी रेजीडेंसी के नाम से विकसित हो रही कॉलोनी क्यों दिखाई नहीं देती। कई नागरिकों का कहना है कि नियमों को तोड़ मरोडकर नक्शा पास कराया गया और जेपी स्कूल से कॉलोनी में आने जाने का रास्ता दिया गया और अब शिक्षा और अन्य उपयोग की भूमि पर मकान बनाकर बेचे जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि 80 प्रतिशत निर्माण और कॉलोनी का विकास नियम विरूद्ध हो रहा है। इसके निर्माता कभी टीवी कलाकारों को बुला लेते हैं और बड़े विज्ञापन छपवाकर अपनी कमियों को छुपाने का प्रयास कर रहे है। कई लोगों का कहना है कि बिजली विभाग और मेडा का काफी बकाया इस कॉलोनी पर था। उसके बाद भी इनका नक्शा कैसे पास हुआ और कॉलोनी को बिजली कैसे मिल गई। इन बातों की जांच मंडलायुक्त द्वारा कराई जाए तभी कार्रवाई हो सकती है। ऐसा लोगों का मानना है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
कमिश्नर साहब ध्यान दीजिए ! अब्दुल्लापुर रोड पर कार्रवाई करने वाले मेडा अधिकारियों ने जेपी रेजीडेंसी के अवैध निर्माण की ओर से क्यों बंद कर रखी हैं आंखें
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