मेरठ 07 जून (प्र)। कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों के मामले में प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हरपाल सिंह, स्वच्छ भारत मिशन प्रभारी मयंक मोहन और कर्मचारी नमन जैन को जांच कमेटी ने दोषी मान लिया है।
जांच कमेटी ने नगर आयुक्त डॉ. अमित पाल शर्मा को रिपोर्ट सौंपी। बताया गया है। कि शासनस्तर से इस संबंध में अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी। एनजीटी द्वारा संज्ञान लेने से पहले ही निगम के अधिकारियों पर शासन में बैठे अधिकारी बड़ी कार्रवाई कर सकते हैं।
महानगर से डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने के लिए नगर निगम का बीवीजी कंपनी के साथ अनुबंध है। कूड़ा उठाने में गाड़ियों को द्य लेकर निगम में बड़ा खेल है। 24 मई को एनजीटी की कोर्ट में निगम के अधिकारियों ने 188 गाड़ियों की लिस्ट दी। इसमें 43 गाड़ियों सिर्फ कागजों में कूड़ा उठाती मिली। निगम ने इन गाड़ियों को भी शिफ्ट के हिसाब से चलना और कूड़ा उठाना दर्शाया था। 26 मई के अंक में अमर उजाला ने इसको प्रमुखता से प्रकाशित किया जिस पर नगर आयुक्त ने कमेटी गठित कर सात दिन में रिपोर्ट मांगी। कमेटी में अपर नगर आयुक्त ममता मालवीय और एमएनएलपी अमित भार्गव शामिल थे। कमेटी की जांच में प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हरपाल सिंह, एसबीएम प्रभारी मयंक मोहन और अस्थायी कर्मचारी नमन जैन को दोषी ठहराया।
जांच में माना गया कि एनजीटी कोर्ट में कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों की लिस्ट गलत दी है। इन गाड़ियों की संख्या 43 की जगह 60 हैं, जिसमें 20 गाड़ी कंकरखेड़ा और 12 गाड़ी दिल्ली डिपो में मिली हैं। अन्य 28 गाड़ी गायब मिली।
कमेटी की जांच में सामने आया कि कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों की लिस्ट स्वास्थ्य विभाग, बीवीजी और एसएसबी के पास अलग-अलग थी। तीनों विभाग के अधिकारी कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों की लिस्ट का इस्तेमाल करते थे। कमेटी ने प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी, एसबीएम प्रभारी व कर्मचारी को दोषी मानते हुए नगर आयुक्त को रिपोर्ट सौंप दी।
अपर नगर आयुक्त ममता मालवीय का कहना है कि एनजीटी कोर्ट में कूड़ा उठाने वाली गाड़ी की लिस्ट गलत दी है, जिसमें प्रभारी नगर स्वास्थ्य, एसबीएम प्रभारी और कर्मचारी की भूमिका मिली है। जांच कमेटी ने नगर आयुक्त को रिपोर्ट सोपी है। सभी बिंदुओं पर जांच हुई है। कई अधिकारियों के बयान भी दर्ज किए हैं।