सोशल मीडिया की आए दिन कुछ लोगों द्वारा इसलिए आलोचना की जाती है कि इस पर बच्चे आपत्तिजनक कंटेट देखते हैं जिसके उनके बिगड़ जाने का खतरा बनता है और इसकी लत लगने से बीमार होने की बात कही जाती है। हमारे द्वारा सोशल मीडिया संचालकों व केंद्रीय गृह व कानून मंत्रालय से आग्रह किया जा चुका है कि कुछ ऐसी व्यवस्था कीजिए कि बच्चों द्वारा देखे जाने वाले कंटेट पर ऐसा प्रतिबंध लगाया जाए कि वो इसे ना देख सके। अब अभिभावकों और सोशल मीडिया के प्रशंसकों के लिए यह सकारात्मक खबर है कि इंस्टाग्राम पर अब किशोर आपत्तिजनक कंटेट नहीं देख सकेंगे। अभी अमेरिका ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में ऐसी व्यवस्था की गई है कि १८ साल से कम आयु के यूजर्स की मेटा निगरानी करेगी। माता पिता अपने बच्चों की गतिविधियों को नियंत्रित कर सकेंगे।
एक खबर के अनुसार इंस्टाग्राम पर किशोर आपत्तिजनक कंटेंट नहीं देख सकेंगे। माता पिता 18 वर्ष से कम आयु के यूजर्स की मेटा पर निगरानी करेगी। तकनीक की मदद से माता पिता अपने बच्चे की गतिविधि को नियंत्रित कर सकेंगे। नई व्यवस्था फिलहाल अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और कनाडा में लागू होगी। साल के अंत तक इसे हर देश में लागू कर दिया जाएगा।
अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा में लागू होंगी नई सेटिंग्स
मेटा ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब उसपर किशोरों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने और अपने प्लेटफार्मों से होने वाले मनोवैज्ञानिक नुकसान के बारे में किशोरों को गुमराह करने के आरोप लगे हैं।
मेटा पर राज्य और संघीय अदालत में मुकदमे चल रहे हैं
मेटा के सीईओ मार्क जकरबर्ग से बच्चों की सुरक्षा के मुद्दों पर सांसदों ने पूछताछ की थी। मेटा पर राज्य और संघीय अदालत में मुकदमे चल रहे हैं। मेटा के स्वामित्व वाली इंस्टाग्राम ने कहा कि इसके लिए फिल्म उद्योग द्वारा उपयोग की जाने वाली पीजी-13 मूवी रेटिंग प्रणाली से प्रेरित फिल्टरों का इस्तेमाल किया जाएगा।
किशोरों के अकाउंट को स्वचालित रूप से पीजी -13 सेटिंग्स में डाल दिया जाएगा, जिसे माता-पिता सीमित कंटेंट सेटिंग एडजस्ट कर सकेंगे। इससे किशोर आपत्तिजनक या हानिकारक कंटेंट नहीं देख सकेंगे। मेटा फेसबुक पर किशोरों के लिए और भी सुरक्षा उपाय पेश करेगी।
जनरेटिव एआइ टूल्स पर भी लागू होंगे
मोशन पिक्चर एसोसिएशन की रेटिंग्स पर आधारित यह नई प्रणाली आपत्तिजनक भाषा, जोखिम भरे स्टंट, मादक पदार्थों के संदर्भ या अन्य आपत्तिजनक पोस्ट को प्रतिबंधित करेगी। ये नियम उसके जनरेटिव एआइ टूल्स पर भी लागू होंगे। ये बदलाव एआइ चौटबाट्स के लिए लागू होंगे।
इंस्टाग्राम पर कंपनी के पास आइ कैरेक्टर्स हैं, जो काल्पनिक व्यक्तित्व वाले चौटबाट्स हैं, जिन्हें यूजर्स वैसे ही मैसेज कर सकते हैं जैसे वे दूसरे ह्यूमन अकाउंट्स को करते हैं। मेटा ने कहा कि ये चौटबाट्स अनुचित जवाब नहीं देंगे।
इस तरह दी जाती है पीजी-13 रेटिंग
किसी फिल्म को पीजी-13 रेटिंग तब दी जाती है, जब माता-पिता का एक पैनल इस बात पर वोट करता है कि वह फिल्म बच्चों के लिए उपयुक्त है या नहीं। अपनी नई नीति के लिए, इंस्टाग्राम ने भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई।
मेटा ने ब्लाग पोस्ट में कहा, उम्मीद है कि यह अपडेट अभिभावकों को आश्वस्त करेगा। हम जानते हैं कि किशोर इन प्रतिबंधों से बचने की कोशिश कर सकते हैं, इसलिए हम आयु-पूर्वानुमान तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।
पीजी-13 रेटिंग सिस्टम से भी अधिक सख्त
किशोरों के लिए अब एडल्ट कंटेंट की सक्रिय खोज करना भी मुश्किल हो जाएगा और उन्हें कुछ खास अकाउंट्स से पूरी तरह से जुड़ने से रोका जा सकेगा। एप में सीमित कंटेंट नामक एक सेटिंग भी शामिल की जाएगी जिसे माता-पिता एक्टिव कर सकते हैं। यह पीजी-13 रेटिंग सिस्टम से भी अधिक सख्त है।
चर्चा है कि साल के अंत तक यह व्यवस्था भारत समेत पूरी दुनिया में लागू होगी और पीजी १३ रेटिंग के आधार पर फिल्टरों का उपयोग होगा। अगर ऐसी ही व्यवस्था उत्तेजनात्मक गलत या फर्जी खबरों पर प्रतिबंध की हो जाए और उनके प्रकाशन से पहले ही ऐसी कोशश करने वाले को चिन्हित कर लिया जाए तो सोशल मीडिया की आलोचना करने वालों के मुंह भी बंद हो सकते हैं।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
अभिभावकों के लिए है खुशखबरी, किशोर नहीं देख पाएंगे आपत्तिजनक कंटेंट, शीघ्र ही भारत सहित दुनिया के सभी देशों में लागू होगी यह व्यवस्था
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