मेरठ 25 अक्टूबर (प्र)। अस्पताल में अपना मेडिकल स्टोर खोलकर मनमानी कीमत पर दवा बेचने के बढ़ते चलन पर सरकार ने शिकंजा कस दिया है। अब डॉक्टर्स को ऐसी दवा लिखनी होगी जो उनके अस्पताल के बाहर भी आसानी से मिल जाए और उसकी कीमत बाजार मूल्य से अधिक न हो। डॉक्टर को दवा का साल्ट भी लिखना होगा। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन आयुक्त ने आदेश जारी कर औषधि निरीक्षकों को इसका पालन कराने की जिम्मेदारी सौंपी है।
इस आदेश में कहा गया है कि कई अस्पताल संचालक कुछ दवा कंपनियों के साथ मिलकर अपने यहां ऐसी दवा बेचते हैं, जो बाहर बाजार में नहीं मिलती। इसके अलावा अस्पतालों की ओर से मरीजों को अपने मेडिकल स्टोर से ही दवा खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है। अस्पतालों की दवाओं की कीमत बाजार में बिकने वाली उसी साल्ट की दवा से अधिक होती है। इससे मरीज पर अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़ता है। यह सरकार के औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश का उल्लंघन है। साथ ही बिना फार्मासिस्ट के दवा बिक्री नहीं हो सकेगी। आदेश के तहत औषधि निरीक्षक अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर इसकी जांच करेंगे।
ड्रग सहायक आयुक्त अरविंद गुप्ता का कहना है कि आमजन की सुविधा के लिए शासन ने आदेश जारी किया है। इससे मरीजों को काफी फायदा होगा। सभी अस्पतालों को आदेश का कड़ाई से पालन कराया जाएगा। शिकायत मिल तो कार्रवाई की जाएगी। मनमानी नहीं होने दी जाएगी।
जिला केमिस्टस एंड ड्रगिस्टस एसोसिएशन महामंत्री रजनीश कौशल का कहना है कि अस्पताल में दवा बेचने पर रोक लगना सही है। लंबे समय से मांग की जा रही थी कि डॉक्टर ऐसी दवा लिखें जो हर जगह मिले। इसके साथ ही बिना फार्मासिस्ट के दवा बेचने पर भी रोक लगे। साथ ही मेडिकल स्टोर पर लाइसेंस नंबर लिखना भी अनिवार्य किया जाए।