मेरठ 20 अक्टूबर (प्र)। शास्त्रीनगर स्थित सेंट्रल मार्केट में आवास विकास परिषद की टीम ने छोटी दीपावली के दिन कार्रवाई की। टीम ने एक विवादित कॉम्प्लेक्स का नया नक्शा तैयार किया, जिससे बाजार में हड़कंप मच गया।
यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में की गई है। आवास विकास परिषद सेंट्रल मार्केट क्षेत्र में व्यावसायिक निर्माणों की जांच कर रहा है। टीम ने मौके पर सर्वे कर विवादित कॉम्प्लेक्स का नया नक्शा तैयार किया, जो आगामी कानूनी प्रक्रिया और रिपोर्टिंग के लिए है।
मेरठ सेंट्रल मार्केट प्रकरण में जिन लोगों पर मुकदमा हुआ है उसमें एक IAS अफसर की मां पर भी केस दर्ज किया गया है। ये अधिकारी फिलहाल महाराष्ट्र कैडर में तैनात हैं। अफसर के पिताजी डॉक्टर हैं। जिन्होंने इस कॉम्पलेक्स में क्लीनिक खोला हुआ है। इस पूरे मामले में केस दर्ज होने के बाद 22 अारोपी अधिकारी अंडरग्राउंड हो गए हैं। उनकी अरेस्टिंग के लिए लगातार दबिशें जारी हैं। SC के आदेश पर सभी अवैध निर्माणकर्ताओं पर केस दर्ज किया गया है। ये पूरा कॉम्पलेक्स आवासीय प्लॉट में कमर्शियल निर्माण है।
अब इस पूरे मामले पर 27 अक्टूबर तक कार्रवाई कर सुप्रीम कोर्ट में जवाब जाना है। जिसमें आवास विकास के अफसर केवल खानापूर्ति कर रहे हैं। लेकिन अब न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने और अवमानना याचिका दर्ज होने के बाद आवास विकास के अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है।
स्थानीय व्यापारियों ने इस कार्रवाई पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि दीपावली जैसे त्योहार के समय, जब कारोबार चरम पर होता है, ऐसी कार्रवाई से बाजार का माहौल खराब होता है। व्यापारियों ने आरोप लगाया कि परिषद ने जानबूझकर त्योहार के समय यह कदम उठाया, जिससे ग्राहकों की आवाजाही और व्यापार प्रभावित हुआ।
वहीं, आवास विकास परिषद के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत की जा रही है। उन्होंने कहा कि परिषद का उद्देश्य किसी को परेशान करना नहीं, बल्कि अदालत के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करना है।
गौरतलब है कि शास्त्रीनगर स्कीम नंबर 7 स्थित सेंट्रल मार्केट का यह मामला सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है। अदालत ने 17 दिसंबर 2024 को भूखंड संख्या 661/6 पर बने व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स को तीन महीने में खाली कराने और दो सप्ताह में ध्वस्त करने का आदेश दिया था। इस मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर 2025 को निर्धारित है।
परिषद की जांच में यह भी सामने आया है कि 1990 से अब तक कई अधिकारी अवैध निर्माणों पर ठोस कार्रवाई करने में विफल रहे। इस संबंध में अब तक 45 अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 22 को नामजद किया गया है।
