ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय यूएनओजीसी तथा यूएन वीमेन के शोध से खुलासा हुआ कि 2022 में दुनियाभर में खबर के अनुसार पिछले साल अपने ही परिवार के हाथों 48800 महिलाएं मारी गईं। ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय(यूएनओडीसी) तथा यूएन वीमेन के नए शोध से यह खुलासा हुआ है।
शोध के अनुसार 2022 में दुनिया भर में लगभग 89,000 महिलाओं और लड़कियों को जानबूझकर मार दिया गया। यह आंकड़ा पिछले दो दशकों में दर्ज की गई संख्या में सबसे अधिक है। कुल हत्याओं की संख्या में गिरावट के बावजूद महिला हत्या में वृद्धि हुई है।
55 प्रतिशत महिलाओं को परिवार ने ही मारा
जानबूझकर मारी गई 89 हजार महिलाओं में से 55 प्रतिशत यानी 48800 को परिवार के सदस्यों या उनके पति द्वारा ही मारा गया। औसतन 133 से अधिक महिलाओं को उनके ही घर में किसी न किसी ने मार डाला। वहीं 12 प्रतिशत पुरुष भी हत्या के शिकार हुए।
पिछले साल अफ्रीका ने एशिया को पीछे छोड़ दिया
दुनिया के सभी क्षेत्रों में महिलाएं लिंग आधारित हिंसा से पीड़ित हैं। लेकिन 2013 के बाद पहली बार ऐसा है जब अफ्रीका ने एशिया को पीछे छोड़ दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में अफ्रीका में 20 हजार महिलाओं की हत्या की गई, जबकि एशिया में 18400 महिलाएं शिकार हुईं।
भारत में आई है कमी
रिपोर्ट के अनुसार भारत में दहेज हत्या सहित अन्य लिंग संबंधी हत्याओं में कमी आई है। हालांकि भारत के 2022 के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन पिछले दशकों में इसमें गिरावट दर्ज की जा रही है।
उत्तरी अमेरिका में वृद्धि
यूएन के अनुसार उत्तरी अमेरिका में पति या परिवार के सदस्यों द्वारा की जाने वाली महिलाओं की हत्याओं में 2017 और 2022 के बीच 29 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसी अवधि में कैरेबियन में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
कहां कितनी महिलाएं मारी गईं(2022)
अफ्रीका 20000
एशिया 8400
अमेरिका 7900
यूरोप 2300
ओशिनिया 200
खबर में बताया गया है कि 55 प्रतिशत महिलाओं को परिवार ने ही मारा। जबकि भारत में दहेज हत्या सहित अन्य लिंग संबंधी ऐसे मामलों में कमी की बात कही गई है। इस बारे में मेरा खबर को पढ़कर कहना है कि शोधकर्ता को मरने वाले महिलाओं की संख्या के साथ ही यह भी स्पष्ट करना चाहिए था कि इन आत्महत्याओं के पीछे कारण क्या रहा और इसके लिए दोषी कौन थे या कितनी महिलाओं ने स्वेच्छा से आत्महत्या की। मातृशक्ति हमेशा हमारे लिए पूजनीय रही है। वो जननी और पालनहार है। उसकी हत्या की जाए इससे बड़ा जघन्य अपराध कोई नहीं हो सकता। इस समाचार को पढ़ने से प्रथम दृष्टया ये लगता है कि परिजनों के हाथों मारी गई 89 हजार महिलाओं की जीवन लीला समाप्ति पुरूषों के कारण हुई होगी। ऐसे मामलों में पुरूष बिरादरी को बदनामी झेलनी पड़ती है चाहे वह दोषी हो या नहीं। इस तथ्या को ध्यान में रखते हुए मेरा मानना है कि संयुक्त राष्ट्र संघ और उससे जुड़े अन्य संगठनों और विभागों को ऐसे मामलों में कोई भी रिपोर्ट जारी करने से पहले हर बिंदु पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। गोलमोल तरीके से ऐसी खबरें छपने से पुरूष वर्ग खासकर महिलाओं में बदनाम और विवादित हो सकता है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। अगर वाकई में यह आत्महत्याएं जिसके कारण भी हुई हो दोषियों को ढूंढकर हर हाल में सजा मिलनी ही चाहिए।
मारी गई 48 हजार महिलाओं की आत्महत्याओं के लिए दोषी कौन यह भी स्पष्ट हो
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