Tuesday, December 17

पं.प्रदीप मिश्रा की कथा में भक्तों की चिट्ठियां, लिखा- डॉक्टरों ने जवाब दिया, अब स्वस्थ्य हूं, किसी का बीमार बेटा ठीक हुआ

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मेरठ, 17 दिसंबर (प्र)। मेरठ में चल रही श्री शिव महापुराण कथा में पंडित प्रदीप मिश्रा को सुनने के लिए रोज करीब 1 लाख श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। आस्था का सैलाब इतना है कि बुजुर्गों के लड़खड़ाते कदम भी उनको पैदल चलने से रोक नहीं पा रहे हैं। अनुयायियों का दावा है कि हमारे संकट प्रदीप मिश्रा की कथा सुनने के बाद दूर हो गए। वे यहां पर चिट्ठी लिखकर भी लाते हैं। वह कहते हैं कि जो काम दवाई नहीं कर पाई वो पंडित जी की कथा सुनकर भगवान भोले को एक लोटा जल अर्पित करने से पूरी हो गई। पंडित प्रदीप मिश्रा ने अपनी कथा में ऐसे कई श्रद्धालुओं की चिट्ठियां का जिक्र किया।

पं. प्रदीप मिश्रा ने मेरठ की एक महिला का पत्र पढ़ाकर सुनाया। जिसमें लिखा था- मेरा नाम पूनम है। पति का नाम संजय कुमार है। मैं रोहटा रोड शाहपुर जैनपुर मेरठ की रहने वाली हूं। मेरे बेटे का जब से जन्म हुआ वह बीमार रहने लगा। इतने साल तक न उसने बोलना शुरू किया और न ही उसके शरीर में कोई ग्रोथ हुई। हमने बहुत इलाज कराया। जांच में डॉक्टरों ने बताया कि इस बच्चे के दिमाग की ग्रोथ नहीं हुई। न ही होगी। यह बच्चा कमजोर ही रहेगा। हमारी टेंशन बढ़ गई कि भगवान ने एक ही तो बेटा दिया और वह भी बीमार रहने लगा। इलाज कराते-कराते 4 साल पूरे हो गए पर मेरे बेटे में कोई बदलाव नहीं दिखा। एक आंटी ने बताया कि इतना इलाज करा रही हो। एक बार मेरे कहने से शिवजी पर जल चढ़ाओ। उस जल को बेटे को पिलाओ। आचार्य प्रदीप मिश्रा की कथा सुनो।
जो उपाय बताएं वो कर लेना। बस विश्वास होना चाहिए। इसके बाद शंकर जी पर जल चढ़ाना शुरू किया। शिव तत्व का नाम लेकर शिवलिंग पर जल चढ़ाती और उस जल को बेटे को पिलाती। पांच साल तक बेटा न बोला न उसका दिमाग काम किया। छह साल का हुआ तो असर होने लगा। अब मेरा बच्चा बोलता है। बिल्कुल ठीक है।

दूसरा पत्र प्रदीप मिश्रा ने पढ़कर सुनाया। जिसमें लिखा था- मैं ज्योति अंकुर शर्मा सहारनुपर से आई हूं। हमारा जानवरों की दवाई का कारोबार था। कोरोना में कारोबार बंद हो गया। एक आदमी नौकरी लगवाने के नाम पर पैसे लेकर भाग गया। बड़ी मुसीबत में आ गए। बच्चे भूखे रहते थे। मेरी माता ने आपकी कथा के बारे में बताया तो मैं सुनने लगी। मेरे पति ने शिवलिंग पर जल चढ़ाना शुरू किया। तीन महीने के भीतर सारा कर्जा उतर गया। अब सारा भय खत्म हो गया। अब हम भोले बाबा के भरोसे हैं।

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