Sunday, December 22

एक मंत्री के इंतजार में रूकी रही शहीद की अंत्येष्टि, दूसरे पर लगे चैक देने की प्रदर्शनी लगाने के आरोप, मुख्यमंत्री जी जनप्रतिनिधि ऐसा ना करेें ऐसा नियम बनाया जाए

Pinterest LinkedIn Tumblr +

राजौरी में शहीद हुए बलिदानी शुभम गुप्ता 27 वर्ष के परिवार को कुछ दिन पहले तक ख्वाब में भी यह अहसास नहीं होगा कि आठ दिसंबर को उनके पुत्र की होने वाली शादी से पूर्व ही वो उन्हंे छोड़कर भगवान के पास चला जाएगा। लेकिन यह भी अटल सत्य है कि उपर वाले ने जो सोच रखा है उसे कोई भी बदल नहीं सकता और यही शहीद हुए शुभम गुप्ता के परिवार के साथ हुआ। यह कह सकते हैं कि भगवान को जो मंजूर होता है वही होता है लेेकिन समाचार पत्रों में उनके अंतिम संस्कार से पूर्व की छपी खबरों ने जहां मान्य पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ ही हर संवेदनशील व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचाई वहीं परिजनों का क्या हाल हुआ होगा इसका अंदाजा कोई भी लगा सकता है लेकन बिना मेहनत किए पार्टी के नाम पर चुनाव जीत मंत्री विधायक बने नेताओं को यह बात समझ नहीं आती है वरना प्रदेश के कैबिनेट मंत्री योेंगेेंद्र उपाध्याय और विधायक डॉ. जीएस धर्मेश दुखी परिवार को चैक देते समय उसकी प्रदर्शनी लगाने और प्रचार पाने की कोशिश नहीं करते। लेकिन दुखी बलिदानी की माता ने जो सबक यह कहकर कि इस समय तो बोली और यह प्रदर्शनी मत लगाईए सिखाया है भविष्य में यह उम्मीद की जाती है कि हमेशा अन्य भी इन बातों को ध्यान रखेंगे। बताते चलें कि ताजनगरी के टाउनशिप प्रतीक एन्कलेव जहां शुभम गुप्ता के माता पिता रहते हैं। जब पार्थिव शरीर पहुंचा तो यह दोनों जनप्रतिनिधि फोटोग्राफरों को लेकर पहुंच गए और शुभम की माता और पिता को लॉबी में बुलाकर 25-25 लाख के चैक भेंट करने गए। इस पर दुखी माता ने उन्हें अच्छा सबक सिखाया। और मंत्री व विधायक सिर झुकाकर वहां से चले। स्थिति और गंभीर होती उससे पहले ही सरकार और सीएम की भावनाओं की कद्र करते हुए शहीद के पिता ने उनसे चैक ले लिया। बताते चलें कि तदुंपरात आंतंकियों से मुठभेड में बलिदान देने वाले सचिन को भी उनके गांव में प्रभारी गन्ना विकास मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण और सांसद सतीश गौतम राजस्व राज्यमंत्री अनूप प्रधान आदि की मौजूदगी में भी बीती रात लगभग नौ बजे मुखाग्नि दी। तथा इस दौरान सैनिकों की टुकड़ी ने शहीदों को सलामी दी।
देश की सीमा पर ठिठुरती ठंड और हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार रहने वाले हमारे नौजवान सैनिकों को सम्मान और प्यार हर देशवासी भावनात्मक रूप से देता चला रहा है। हमारे जवानों ने भी कभी मौका पड़ने पर आसानी से हमें निराश नहीं किया। उसके बावजूद शहीद सचिन की अंत्येष्टि के लिए डेढ़ घंटे तक मंत्री का इंतजार परिवार को करना पड़ा। लोगों के आग्रह पर दूसरे जवान पीयूष के गांव में उन्हें रात में अंतिम विदाई दी गई। उससे पहले सहायता के चैक देने के लिए दुखी माता पिता को बाहर बुलाकर जो चर्चाओं में रहने और फोटो खिंचाने की कोशिश मंत्री व विधायक द्वारा किया गया उसे किसी भी रूप में सहीं नहीं कहा जा सकता।
मेरा मानना है कि सीएम साहब को एक ऐसा आदेश भी करना चाहिए कि ऐसे गमगीन और संवदेनशल मौकों पर परिवार के सदस्यों की भावनाएं आहत ना हो। इस बात का ध्यान शहीद को विदाईय या सहायता देने वाले जनप्रतिनधियों को रखना चाहिए और मीडिरूा में चेहरा चमकाने की बजाय दुखी परिवार से आत्मीयता में ज्यादा ध्यान देना चाहिए। बताते चले कि शाम चार बजे के करीब सेना के जवान प्रतीक एन्क्लेव पहुंचे जहां शहीद का छोटा भाई उनकी पुरानी वर्दी पहनकर पार्थिक शरीर लेकिर आएज शुभम और सचिन को श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी तादात में उनके निवासों पर पहुंचे तथा लोगों ने उन पर फुल बरसाकर अंतिम विदाई दी।
मुझे लगता है कि देश के प्रति हमारे जवानों की भावनाएं और मजबूती से सीमा पर लड़ने के लिए संकलप्ति कर सके इसके लिए हमें अपनी भावनाओं से इतना बल देना चाहिए कि उनके रहते और बाद में उनका और परिवार का ध्यान रखने के लिए हर देशवासी भी उनके साथ खड़ा है। चैक देते हुए मंत्रियों की वायरल फोटो और शहीद के मां के विचार से मुख्यमंत्री जी आपके और सरकार के फैसले को काफी चोट पहुंचती है। इसलिए इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसी की भी दुखी की भावनाओं का मजाक कोई जनप्रतिनिधि या हुक्मरान ना उड़ा पाए।

Share.

About Author

Leave A Reply