मेरठ 21 अक्टूबर (प्र)। सिविल लाइन के नेहरू रोड पर निर्माणाधीन अवैध होटल को मेडा (मेरठ विकास प्राधिकरण) ने सील कर दिया है। मेडा के प्रवर्तन दल टीम जब इस अवैध होटल पर सील लगाने को पहुंची तो वहां पर मजदूर काम कर रहे थे। जैसे ही वहां प्रवर्तन दल की टीम पहुंची तो मजदूरों में भगदड़ मच गई। वहां चल रहा काम बंद हो गया। उसके बाद वहां सील लगा दी गयी। इस अवैध होटल का कनेक्शन जीडीए के एक एक्सईएन से भी जोड़ा जा रहा है।
लोगों ने बताया कि एक्सईएन के प्रभाव के चलते ही मेडा के प्रवर्तन दल ने जिसके अफसर चंद कदम की दूरी पर बैठते हैं, कभी यहां आकर नहीं झांका। इसके पीछे या तो एक्सईएन का उन पर प्रभाव है या फिर सेटिंग-गेटिंग तगड़ी थी, लेकिन अंतोगत्वा इस पर सील लगा ही दी गयी। लोगों ने यह भी बताया कि यदि शुरू में ही मेडा ने कार्रवाई कर दी होती तो इस होटल को बनाने वालों ने ना तो सरकारी जमीन पर कब्जा किया होता, जहां पर होटल में आने जाने के लिए सीढ़ी बनायी गयी हैं। दरअसल, ये सीढ़ी सरकारी जमीन पर बनाने का आरोप अवैध निर्माण कराने वालों पर लगाया जा रहा है और न ही सरकारी संपत्ति मसलन नाले की पटरी को नुकसान पहुंचाया जाता।
दरअसल, होटल के लिए बडे“ भारी भरकम जनरेटर का इंतजाम किया गया है। इसके लिए पहले रोड साइड पर कब्जा कर वहां जनरेटर रखने के लिए प्लेटफार्म बनाया गया था। सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर निर्माण करने वालों ने उस प्लेटफार्म को तोड़ दिया। हालांकि उसके बाद जनरेटर वहीं सड़क किनारे रखा हुआ है। आरोप है कि अब इस भारी भरकम जनरेटर के लिए आबूनाले की पटरी की दीवार तोड़ दी गयी है। जिस पुराने मकान में यह अवैध होटल बनाया जा रहा है। लोगों ने बताया कि पहले उस पर एक मोबाइल कंपनी का टावर लगा हुआ था। टावर ने आसपास के घरों को डेंजर जोन तब्दील कर दिया है। अवैध होटल के निर्माण के दौरान को लेकर की गयी तोड़फोड़ की वजह से मोबाइल टावर के सुरक्षा उपायों से छेड़छाड़ की गयी है। टावर की सुरक्षा के मानकों से भी छेड़छाड़ की गयी। इसकी वजह से होटल की बिल्डिंग की छत पर लगे टावर को आसपास रहने वाले घरों के लिए खतरा माना जा रहा है।
लोगों ने तो यहां तक आशंका व्यक्त की है नेहरू रोड की जिस मकान को होटल में तब्दील किया गया है, उसमें निर्माण कार्य के दौरान बडे“ स्तर पर जो निर्माण टावर के बेस के लिए अनिवार्य माने जाते हैं। उनमें भी बड़ा बदलाव कर दिया गया है। इस मकान की कई दिवारों व कमरों को हटाकर होटल के लिए हॉल तैयार किए गए हैं। कमरों दीवारों को हटाना टावर के लिए घातक साबित हो सकता है। और इसके चलते आंधी तूफान आने की स्थिति में इस टावर के आसपास के मकानों पर गिरने की आशंका जतायी ज रही है। यदि वाकई ऐसा हो गया तो अवैध होटल की वजह से संभावित टावर हादसे में हताहतों की संख्या काफी बड़ी भी हो सकती है। वहीं, दूसरी ओर मेडा के जोनल अधिकारी अर्पित यादव का कहना है कि प्राधिकरण उपाध्यक्ष के आदेश पर यह कार्रवाई की गयी है।