Saturday, May 31

मेरठ की गोल्डन गर्ल पारुल चौधरी बनीं डिप्टी एसपी

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मेरठ 20 मई (प्र)। मेरठ की बेटी उड़न परी पारुल चौधरी ने सोमवार को डिप्टी एसपी का पदभार संभाल लिया। उन्हें मुरादाबाद जिले में तैनाती मिली है। उन्होंने डॉ. आंबेडकर पुलिस अकादमी में पहुंचकर ज्वॉइन किया। इस दौरान उनके साथ पिता कृष्णपाल, भाई रोहित और राहुल शामिल रहे।

बता दें कि 3000 मी स्टीपलचेज में देश की नंबर एक खिलाड़ी दौराला के इकलौता गांव निवासी पारुल चौधरी ने चीन में आयोजित एशियाई गेम्स 2023 में 3000 मी स्टीपलचेज में रजत और 5000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल कर इतिहास रच दिया था। उनकी इस उपलब्धि पर राज्य सरकार द्वारा उन्हें डिप्टी एसपी पद देने की घोषणा की गई थी। केंद्र सरकार ने भी उन्हें 2023 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था। पारुल चौधरी ने 2024 में आयोजित पेरिस ओलंपिक में भी भारतीय दल में अपनी जगह बनाई थी। हालांकि वह ओलंपिक में अपना पदक नहीं जीत सकी। हाल ही में दोहा में हुई डायमंड लीग में नेशनल रिकॉर्ड बनाकर वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप टोक्यो के लिए क्वालीफाई किया। अब उन्होंने सोमवार को डिप्टी एसपी के पद पर ज्वाइन कर लिया है।

डिप्टी एसपी का पद ग्रहण करने के बाद पारुल ने कहा कि आज मैं अपने माता और पिता का तहे दिल से धन्यवाद करती हूं। उनकी मेहनत और विश्वास से ही मैंने डिप्टी एसपी यूपी पुलिस के पद पर ज्वॉइन किया है। मैं उन सभी का धन्यवाद करना चाहती हूं, जिन्होंने यहां तक पहुंचाने में मेरा साथ दिया है। मेरे कोच, मेरा परिवार, एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, साई आदि सभी को धन्यवाद। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी धन्यवाद, जो उन्होंने मुझे देश सेवा का मौका दिया है।

पारुल की उपलिब्धयां
● स्वर्ण पदक – प्रथम स्थान 2023 एशियन गेम्स 5000 मी.
● रजत पदक – दूसरा स्थान 2023 एशियन गेम्स 3000 मीटर स्टीपलचेज
● स्वर्ण पदक- एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 बैंकाक
● कांस्य पदक- एशियन चैंपियनशिप 2018 बैंकाक
● स्वर्ण पदक— राष्ट्रीय खेल गुजरात, 2022,
● ओलंपिक में प्रतिभाग- पेरिस ओलंपिक 2024
● अर्जुन अवार्ड- 2023
● रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड-2021

पारुल की इस सफलता से परिवार और गांव में खुशी का माहौल है। गांव में उड़न परी के नाम से मशहूर पारुल का खेल के प्रति जुनून बचपन से ही था। वह नंगे पांव खेतों में दौड़ती थीं और प्रैक्टिस के लिए 30 किलोमीटर पैदल जाती थीं।

उनके पिता उन्हें साइकिल से 30 किलोमीटर दूर स्टेडियम तक ले जाते थे। कठिन परिस्थितियों में भी पारुल ने हार नहीं मानी। सत्तू खाकर प्रैक्टिस करने वाली पारुल ने कई गोल्ड और सिल्वर मेडल जीतकर अपने माता-पिता का नाम रोशन किया।

पारुल के भाई राहुल चौधरी ने बताया कि यह उनके परिवार के लिए गर्व का क्षण है। गांव वालों की आशंकाओं के विपरीत पारुल ने न केवल खेल में बल्कि अपने करियर में भी उच्च मुकाम हासिल किया है।

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