मेरठ 26 जुलाई (प्र)। अब मेडिकल अस्पताल की ओपीडी में मरीजों के नाम की पुकार लगाना बंद कर दिया गया है। हर ओपीडी के बाहर आधुनिक टोकन वेंडिंग मशीन लग गई है। इन मशीन से पर्चे के क्रम में टोकन नंबर निकालकर स्टाफ मरीजों को दे रहा है। मरीज टोकन नंबर को ओपीडी गेट पर लगी डिजिटल स्क्रीन पर देखकर अपना नंबर आने का इंतजार करते हैं। पहले मरीजों के पर्चे एकत्र कर वार्ड ब्वॉय पर्चे के हिसाब से मरीज का नंबर देखकर बुलाते थे।
अस्पताल में आने वाले मरीजों को ओपीडी के लिए पर्चे, नंबर के लिए लंबी लाइन में लगने से छुटकारा मिल गया है। अस्पताल को 10 आधुनिक टोकन वेंडिंग मशीन एक वर्ष पहले मिली थी लेकिन मशीनों को इंस्टॉल होने में देरी हुई। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने पिछले वर्ष जनवरी में यह मशीनें, अस्पताल को मिलने की खबर प्रकाशित की थी। टोकन और डिसप्ले पर नंबर आने पर बिना लाइन के चिकित्सक से परामर्श ले रहे हैं।
हीमोफीलिया मरीजों की फैक्टर जांच सुविधा शुरू
हीमोफीलिया के मरीजों को फैक्टर की जांच के लिए एम्स, केजीएमयू और पीजीआई के चक्कर नहीं लगाने होंगे। मेडिकल कॉलेज में रक्त से संबंधित बीमारियों की जांच, रिसर्च समेत पढ़ाई के लिए अलग से ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग स्थापित किया गया है। अब हीमोफीलिया के मरीज को कौन सा फैक्टर देना है, इसकी जांच की सुविधा एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में मिलेगी।
मेडिसन विभागाध्यक्ष डॉ योगिता सिंह ने बताया कि हीमोफीलिया के किस मरीज को कौन सा फैक्टर दिया जाना है, इसकी जांच ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में होगी। इसके लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने बताया कि हीमोफिलिया अनुवांशिक बीमारी है।
आभा एप पर रजिस्ट्रेशन के बाद पर्चा
अब आधार के साथ आभा एप पर रजिस्ट्रेशन के बाद पर्चा बन रहा है। पहले मरीज आभा काउंटर पर आभा एप में रजिस्ट्रेशन करा टोकन नंबर ले रहे हैं। इसके बाद उस नंबर को पर्चा काउंटर पर देने से पर्चा तैयार हो रहा है। इस नई व्यवस्था से मरीजों का पर्चा बनवाने में काफी समय लग रहा है। नई व्यवस्था से अस्पताल आने वाले मरीज पर्चा और आभा एप में रजिस्ट्रेशन के लिए एक से दूसरे काउंटर पर भटक रहे हैं।