राजा महाराजाओं और नवाब जमींदारों के जमाने में हर दरबार में बादशाह की प्रशंसा करने हेतु कई कई भाट हुआ करते थे। यह कहने में भी कोई हर्ज महसूस नहीं हो रहा है कि इस काम से कई परिवारों की गुजर बसर तो चलती ही थी। उन्हें सम्मान भी मिलता था क्योंकि भले ही प्रशंसा करने का काम करते हो लेकिन उन्हें सबसे प्रमुख व्यक्ति का व्रहद हस्त भी प्राप्त रहता था।
आजकल जापान देश के टोक्यो में एक खबर के अनुसार दूसरों की तारीफ करना एक कला है। इसमें निपुण जापान का एक शख्स हर दिन पांच हजार रुपये से ज्यादा कमा रहा। जापान में वह ‘प्रेज अंकल’ के नाम से लोकप्रिय है। जापान के स्थानीय अखबार में तो 43 वर्षीय शख्स को तस्वीर के साथ प्रकाशित किया । वहीं, सोशल मीडिया पर उसका एक वीडियो भी वायरल हो रहा। वीडियो में शख्स हाथ में पोस्टर लेकर खड़ा है, इसमें लिखा है- ‘मैं आपकी तारीफ करूंगा।’ हर दिन वह 30 से ज्यादा लोगों की तारीफ करता है, और 5,000 रुपये से ज्यादा कमा लेता है। इतना ही नहीं कुछ अपनी तारीफ से खुश होकर उसे टिप भी देते हैं।
यह कोई गलत कार्य नहीं है। प्रशंसा करना एक कला है और वैसे भी बुजुर्गो से सुनते आएं हैं कि घटिया मानसिकता वाले व्यक्ति में भी कोई अच्छाई जरूर होती है। अगर आप उसे पहचान कर उसका बखान करें और सामने वाले की तारीफ तो आपके प्रति तो लोगों का रवैया सकारात्मक बनता ही है समाज को भी उसका लाभ मिलता है। क्योंकि कहते हैं कि अगर आप किसी को चोर कहते रहें तो वह एक दिन वैसा ही हो जाता है। इसी प्रकार किसी की अच्छाई को उभारे तो वह अच्छे काम करने की भी सोचने लगता है।
कुल मिलाकर कहने का आश्य सिर्फ इतना है कि प्रशंसा किसी की चाटुकारिता या चमचागिरी नहीं होती यह समाज को बांधे रखने और अच्छे लोगों के साथ साथ गलत सोच वालों को भी सबके हित में काम करने के लिए प्रेरित करती हैं। और वैेसे भी प्रशंसा एक ऐसा शब्द है जो कानों में पड़ता है तो सब तर हो जाते हैं और करने वालों के बारे में अच्छा ही सोचते हैं। मेरा मानना है कि जापान के इस 43 वर्षीय अच्छी सोच रखने वाले व्यक्ति से हमे प्रेरणा लेकर इसे अपनाना चाहिए। क्योंकि समय समय पर यह काबिलियत हमारी तरक्की और परिवार की खुशहाली तथा आर्थिक मजबूती का आधार भी बनती है। यह जरूरी नहीं है कि आपको कोई पैसे दे। तारीफ एक ऐसा भ्रम वाक्य है कि सुनने वाले कभी कभी वक्त पड़ने पर आपके लिए वो कर गुजरते हैं जिसके बारे में आसानी से आदमी सोच नहीं पाता है। इसलिए भले ही कोई इच्छा ना रखे लेकिन दो बोल तारीफ के बोलने की जो कला हर आदमी में मौजूद है मगर उसे दबाए रखता है ऐसा ना करके उसे विकसित करें और सबके जीवन में खुशहाली का संदेश लाएं।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
तारीफ सुनने और करने वाले दोनों को ही करती है प्रफुल्लित
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