मेरठ 11 जून (प्र)। महाभारत काल में हस्तिनापुर में बूढ़ी गंगा धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व रखती थी। बूढ़ी गंगा को जीवित करने के लिए अनेकों प्रयास किया जा रहे हैं। मामला एनजीटी में भी विचाराधीन है। अब बूढ़ी गंगा को जीवन देने की तैयारी हो रही है। नमामि गंगे के तहत करीब 50 लाख रुपये का प्रोजेक्ट बना है। इसके लिए 13 जून को दिल्ली में अहम बैठक होनी है। महानिदेशक नमामि गंगे की मौजूदगी में इस बैठक में बूढ़ी गंगा को जीवन देने वाले प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी जानी है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी की टीम ने नवंबर 2024 में बूढ़ी गंगा क्षेत्र का दौरा कर प्रोजेक्ट तैयार कर एक रिपोर्ट तत्कालीन डीएम दीपक मीणा को सौंपी थी। इसमें सुझाव दिया है कि मुजफ्फरनगर-मेरठ-गढ़मुक्तेश्वर तक बूढ़ी गंगा को लेकर 18 माह में आईसो टॉप तकनीक का प्रयोग करते हुए एनेलेसिस किया जाएगा। इसके बाद तय करेंगे कि बूढ़ी गंगा का महाभारत काल से लेकर अब तक क्या प्रवाह रहा। बूढ़ी गंगा कि कितनी लंबाई, कितनी चौड़ाई रही होगी, कहां-कहां से बूढ़ी गंगा नदी चलती थी। इसी के साथ बूढ़ी गंगा का पांच हजार साल पुराना इतिहास सामने आएगा और बूढ़ी गंगा को फिर से जीवन मिलेगा।
बूढ़ी गंगा को लेकर अभी तक यह हो चुका
● तत्कालीन डीएम दीपक मीणा ने 21 अक्तूबर 2024 को एनआईएच को बूढ़ी गंगा को लेकर पत्र लिखा था
● एनआईएच (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी) ने आठ नंवबर 2024 को बूढ़ी गंगा का रूट देखा
● टीम ने डीएम को जनवरी 2025 में सर्वे के बाद प्रोजेक्ट रिपोर्ट सौंपी थी
● पिछले माह डीजी नमामि गंगे से दिल्ली में प्रियांक भारती चिकारा ने मुलाकात की थी
● डीजी ने जिला गंगा समिति के माध्यम से बूढ़ी गंगा को लेकर प्रोजेक्ट मांगा
डीएफओ राजेश कुमार का कहना है कि बूढ़ी गंगा के लिए 50 लाख का प्रपोजल तैयार कराकर डीएम के माध्यम से नमामि गंगे दिल्ली को भिजवाया है। बूढ़ी गंगा का मामला एनजीटी में भी चल रहा है। नमामि गंगे मुख्यालय दिल्ली में 13 जून को दिल्ली में बैठक होगी। बूढ़ी गंगा को लेकर स्टडी कराएंगे।