2006 से शुरू हुई जाटों को आरक्षण देने की मांग अब जोर पकड़ती जा रही है। पूर्व में प्रधानमंत्री के रूप में सरदार मनमोहन सिंह द्वारा 4 अप्रैल 2014 को केंद्रीय नौकरियों में जाटों को आरक्षण दिया गया था और इसके पीछे उस समय के केंद्रीय मंत्री व रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई थी। खबर के अनुसार 18 फरवरी 2015 को आरक्षण के पीछे ठोस आधार ना पाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नौ राज्यों के जाटों को दिया जाने वाला नौकरियों में आरक्षण निरस्त कर दिया था। जिसके लिए रालोद द्वारा सरकार की कमजोर पैरवी मानी गई थी और भाजपा सरकार को इसके लिए जिम्मेदार माना गया था। गत दिवस यूपी के मेरठ के कंकरखेड़ा स्थित शगुन फार्म हाउस में इस मांग को लेकर जाट एकत्रित हुए और यहां अखिल भारतीय महामंत्री युद्धवीर सिंह को गदा देकर सम्मानित किया गया। लेकिन अगर ध्यान से देखें तो यह 20 नवंबर को दिल्ली में होने वाले महासम्मेलन में जाट समाज की उपस्थिति कितने वृहद स्तर पर हो सकती है उसका पहला प्रयास कह सकते हैं। अब एक अक्टूबर को पुनः जाट नेता मेरठ में ही इकटठा होंगे।
भले ही सम्मेलन में पूर्व राज्यपाल सतपाल मलिक ना आ पाए हों लेकिन अन्य नेताओं में राजस्थान से राजाराम, हरियाणाा से राजेंद्र सिंह, उप्र से प्रताप चौधरी प्रदुमन सिंह हरपाल सिंह, डॉ0 राजकुमार सांगवान धर्मवीर सिंह आदि के अलावा कैंट से रालोद की प्रत्याशी रही मनीषा अहलावत रिचा चौधरी सहित काफी तादात में महिला व सभी दलों के जाट नेता नजर आए जिनमें उप्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेतााअें में शुमार यूपी कांग्रेस के महासचिव रहे चौधरी यशपाल सिंह की उपस्थिति महत्वपूर्ण थी। आयोजन की सफलता के लिए अशोक चौधरी, सुधीर चौधरी शेरा जाट बबलू जयराज सिंह गौरव जटौलीी रवि सांगवान अजय नेहरा सुभाष जटौली रिचा चोधरी कल्याण सिंह रोहित जाखड़ व संजय दौरालिया प्रदुमन का विशेष सहयोग रहा।
कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि अब शायद जाट समाज अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने में पीछे नहीं रहेगा। इसके नेता समाज के लोगों द्वारा दी गई कुर्बानियों को याद दिलाने में भी पीछे नहीं हटेंगे। बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत का कहना है कि आरक्षण जाटों का हक है उन्हें मिलना ही चाहिए। सम्मेलन में उपस्थित नेताओं की मौजदूगी से स्पष्ट रहा कि रालोद और उसके उध्यक्ष जयंत चौधरी केंद्रीय सेवाओं में जाटों की हुंकार को समर्थन दे रहा है।
मेरा मानना है कि सरकार को अब समाज के हर क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान देने वाले व अन्न उत्पादन में अग्रणी जाट समाज की मांग केंद्रीय सेवाओं में आरक्षण देने के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरणसिंह को भारत रत्न देने की मांग तो पूरी करनी चाहिए। इनके योगदान को देखते हुए अन्य मांगें सरकार को माननी चाहिए क्योंकि समाज कोई सा भी हो अगर सब इकटठा होकर कोई मांग करते हैं तो उसे ज्यादा समय तक नहीं टाला जा सकता। मुझे तो लगता है कि यूपी के विकास को ध्यान में रखते हुए सत्ताधारी दल और केंद्र सरकार को अपने से जुड़े इस समाज के मतदाताओं की भावनाओं का आदर करते हुए पश्चिमी उप्र को अलग प्रदेश घोषित करने में भी देर नहीं करनी चाहिए क्योंकि ज्यादा लंबा समय आंदोलन को खींच जाता है तो वो स्थिल पड़ जाता है लेकिन खेतों में खून पसीना बहाने वाला यह समाज शायद आसानी से शांत बैठने वाला नहीं है। खासकर सत्ताधारी दल को जाट मतदाताओं कोा अपने साथ जोड़े रखने के लिए इसका ध्यान भी रखना होगा कि कहीं राम राम की राह पर चलने वाला यह समाज जय श्रीराम के नारे से दूर ना हो जाए।
जाट आंदोलन की तेज होती धार, सरकार केंद्रीय सेवाओं में आरक्षण चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न और उप्र के विभाजन का ले निर्णय
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