मेरठ 07 जून (प्र)। जिले में तीन साल बाद भूमि के सर्किल रेट संशोधित करने की प्रक्रिया के तहत प्रस्तावित सर्किल रेट में 20 से ज्यादा गांवों के सर्किल रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह वह गांव हैं जहां विभिन्न प्रोजेक्ट के लिए या तो जमीन की खरीद कर रही है अथवा खरीद प्रस्तावित है। किसान इस निर्णय से नाराज हैं। गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे प्रस्तावित औद्योगिक गलियारा सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। इसके साथ नरहेड़ा में आवास विकास की नई टाउनशिप व मेड़ा की मोहिउद्दीनपुर में दिल्ली रोड योजना में भी इसका असर दिखाई दे रहा है।
सरकार और प्रशासन को किसानों की फिक्र नहीं है। सर्किल रेट न बढ़ाना किसानों पर अत्याचार है। किसानों ने तय किया है कि औद्योगिक गलियारा के लिए किसी भी कीमत पर भूमि नहीं दी जाएगी। यहां छोटे छोटे किसान है। जमीन चली जाएगी तो उनके परिवार कैसे जिंदा रहेंगे।
किसान नेता शीराज सिंह त्यागी, मामचंद नागर ने कहा कि सरकार और प्रशासन को किसानों की फिक्र नहीं है। भारतीय किसान यूनियन संघर्ष प्रदेश अध्यक्ष पवन गुर्जर ने कहा कि सरकार ने अधिग्रहण की जाने वाली भूमि का सर्किल रेट नहीं बढ़ाया है जबकि पूरे जनपद में सर्किल रेट बढ़ा दिया है। आरोप लगाया कि सरकार जबरदस्ती किसानों की भूमि कब्जा कर किसानों को भूमिहीन करना चाहती है, लेकिन किसान इस बार किसी भी कीमत पर भूमि अधिग्रहण नहीं होने देगा और अपनी जमीन को अपनी सहमति से ही देगा। आरोप लगाया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान भूमिहीन होता जा रहा है, जो हमारे आने वाली नस्लों के लिए बड़ा दुखदाई साबित होगा। किसान हर प्रकार के आंदोलन के लिए तैयार है।
गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे 12 जनपदों में औद्योगिक गलियारे की स्थापना प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट हैं। मेरठ में दो चरणों में 500 हेक्टेयर क्षेत्रफल के औद्योगिक गलियारा को विकसित करने की इसे तैयारी है। पहले चरण की 200 हेक्टेयर भूमि में से 150 हेक्टेयर भूमि की खरीद आपसी सहमति के आधार पर हो चुकी है, लेकिन इसके बाद जमीन नहीं मिल रही हैं। 300 हेक्टेयर के दूसरे चरण की घोषणा होते ही गोविंदपुरी, खड़खड़ी और हर छतरी गांवों के किसानों ने औद्योगिक गलियारे को भूमि न देने की घोषणा कर रखी है। किसान औद्योगिक गलियारा योजना को निरस्त करने की मांग को लेकर पिछले आठ महीने से छतरी गांव के बाहर धरना भी दे रहे हैं।