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गजेन्द्र सिंह धामा व यशपाल सिंह की देखरेख में संचालित 1886 में स्थापित तिलक पुस्तकालय बनेगा ई-लाईब्रेरी

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मेरठ, 07 जनवरी (प्र)। 1886 में स्थापित हुई टाउन हॉल स्थित तिलक लाईब्रेरी अब लेगी ईलाईब्रेरी का रूप। बताते चले कि पहले राजहंस प्रकाशन के मालिक रहे राजेन्द्र प्रसाद गोयल के प्रयासों से कई दशक तक निरंतर चली और अब वरिष्ठ अधिवक्त रोटेरियन गजेन्द्र सिंह धामा की देखरेख में पिछले दस साल से संचालित तिलक पुस्तकालय व वाचनालय के उत्थान के लिए वर्तमान में गजेन्द्र सिंह धामा एडवोकेट तथा पुस्तकालय के मंत्री चौधरी यशपाल सिंह एडवोकेट व स्वत्रंत पत्रकार डा0 संजय गुप्ता एवं हर्ष वर्धन बिट्टन के प्रयासों से एक खबर के अनुसार घंटाघरके समीप टाउनहाल परिसर स्थित तिलक पुस्तकालय को ई- लाइब्रेरी में परिवर्तित किया जाएगा। और यहां पर मौजूद 45 हजार पुस्तकों को डिजिटल किया जाएगा। इसके लिए शासन ने 2.37 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए गये बताते हैं।

स्मरण रहे कि तिलक पुस्तकालय की स्थापना चार नवंबर 1886 में कालीपद बोस जी के प्रयासों से हुई थी। इस पुस्तकालय में कभी स्वामी विवेकानंद ने बैठकर धर्म, दर्शन, योग के ग्रंथों का अध्ययन किया था। यह बात 1890 से 1891 के बीच की है। पुस्तकालय की स्थापना के लगभग 138 साल हो गए हैं। अब पुस्तकालय का भवन भी सुधार मांग रहा है। यहां लगभग 45 हजार पुस्तकें मौजूद हैं। समय के साथ पुरानी लकड़ी की अलमारियों में दीमक लगने की समस्या उत्पन्न हो गई। इसलिए पुस्तकालय के जीर्णाेद्धार की आवश्यकता काफी समय से महसूस की जा रही थी। पूर्व में गजेन्द्र सिंह धामा व यशपाल सिंह के प्रयासों से नगर निगम ने सिविल कार्य के साथ पुस्तकों को डिजिटल फार्मेट में तब्दील करने की कार्ययोजना बनाकर शासन को भेजी थी। शासन से बजट की मंजूरी मिलने के बाद निर्माण अनुभाग टेंडर प्रस्ताव तैयार कर रहा है।

वेद, पुराण समेत कई भाषाओं की 45 हजार पुस्तकों वाला तिलक पुस्तकालय पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे प्राचीन पुस्तकालय है। यहां पर चारों वेद के अलावा एनसाइक्लोपीडिया की सीरीज मौजूद हैं। हिंदी, अंग्रेजी, फारसी समेत अन्य भाषाओं की पुस्तकें यहां मौजूद हैं। हिन्दी की करीब 23,550, अंग्रेजी की 17,800, उर्दू की करीब 3000 और फारसी की करीब 500 पुस्तकें हैं। लगभग सभी तरह की 44,900 पुस्तकें पुस्तकालय में हैं। जिनको पढ़ने के लिए लोग आते हैं। प्रतिदिन प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले 50 से ज्यादा अभ्यर्थियों की मौजूदगी भी रहती है।

यह है कार्ययोजना
60 लाख रुपये से तिलक पुस्तकालय की बिल्डिंग का जीर्णाेद्धार किया जाएगा।
10 कंप्यूटर लगाए जाएंगे। पढ़ाई के लिए बैठने से लेकर सभी सुविधाएं दी जाएंगी।
पढ़ने के लिए प्रत्येक पुस्तक का बार कोड और उसकी नंबरिंग की जाएगी।
करियर काउंसिलिंग कक्ष होगा। जहां विषय विशेषज्ञ अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग कर सकेंगे।
लाइव क्लास की सुविधा रहेगी। कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से निगरानी की सुविधा होगी।

बताते चले कि दो दशक पूर्व लाईब्रेरी की आर्थिक स्थिति सुधारने में उस समय के अध्यक्ष रहे आरकेबी फाउंडेशन के संस्थापक रवि कुमार बिश्नोई वर्तमान में पुस्तकालय समिति के संरक्षक का विशेष योगदान इसके संचालन में रहा बताते है।

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