मेरठ 08 जुलाई (प्र)। मवाना के एक मोहल्ले में 17 साल के लड़के ने माता-पिता के झगड़े से तंग आकर जान दे दी। उसका शव मकान के जाल में फंदे पर लटका मिला। किशोर की मीत से परिवार में कोहराम मच गया। लोगों ने बताया कि पति और पत्नी में काफी समय से झगड़ा चल रहा था। इस कारण महिला अपने मायके चली गई थी। मां के न आने से लड़का परेशान था और उसने यह कदम उठा लिया।
मोहल्ला निवासी किशोर शनिवार को घर में अकेला था। पिता ई-रिक्शा चलाते हैं। किशोर के चाचा का एक्सीडेंट हो गया था। उसके पिता अपने भाई को देखने के लिए मुजफ्फरनगर गए थे। रविवार दोपहर पिता घर पहुंचे और दरवाजा खटखटाया लेकिन काफी देर तक दरवाजा नहीं खुला। पड़ोसी की छत से देखा तो बरामदे के जाल में किशोर का शव फंदे से लटका था।
सूचना पर थाना प्रभारी सुभाष सिंह मौके पर पहुंचे तथा शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पड़ोसियों के मुताबिक, उक्त किशोर के मां-बाप में विवाद चल रहा है। किशोर की बड़ी बहन की शादी हो गई है। छोटी बहन भी रिश्तेदारी में गई हुई थी। रविवार को किशोर ने फोन कर मां से घर लौट आने के लिए कहा था। लोगों के मुताबिक महिला ने घर आने से साफ इन्कार कर दिया। इकलौते बेटे की मौत से पिता भी सुधबुध खो बैठे। फोरेंसिक टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की किशोर दोस्तों से कहता था कि मां के बिना मन नहीं लगता। उसने दसवीं के बाद स्कूल जाना भी छोड़ दिया था।
एसपी देहात कमलेश बहादुर ने कहा कि किशोर का शव पोस्टमार्टग के लिए भेज दिया है। अभी पुलिस जांच कर रही है। जो भी तथ्य सामने आएंगे उसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
ज्यादा संवेदनशील होते हैं किशोर, परिजन उन्हें समझें
किशोरों के आत्महत्या के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। पिछले एक माह में आत्महत्या का यह चौथा मामला है। मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में हर रोज ऐसे दो से पांच किशोरों को परिजन लेकर पहुंचते हैं, जो माता, पिता या किसी अन्य परिजन की डांट के बाद गुमसुम या फिर उनका स्वभाव गुस्सैल और चिड़चिड़ा हो गया है। गुमसुम रहने वाले किशोर आत्महत्या जैसे कदम जल्द उठाते हैं। जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. कमलेंद्र किशोर ने बताया कि काउंसिलिंग में पता चलता है कि अभिभावक शिक्षकों की डांट से कई बार किशोर खुद को बेइज्जत महसूस करने लगते हैं। माता-पिता में झगड़ा या घरेलू कलह भी उनके स्वभाव पर गलत असर डालती है। मनोचिकित्सक डॉ. रवि राणा ने बताया कि किशोरावस्था में हार्माेस बदलाव के चलते वह ज्यादा संवेदनशील होते हैं। इस उम्र में परिजनों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। बच्चे, किशोर या युवा को जब उनकी इच्छा के विरुद्ध कुछ करने के लिए मजबूर किया जाता है तो वह कई बार गुस्से पर काबू नहीं कर पाते। ऐसे में पेशेवर से मदद लेनी चाहिए।