हिन्दी और संस्कृत को घर घर तक पहुंचाने और हर बच्चे को इनका ज्ञान कराने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकारें भरपूर प्रयास कर रही हैं और इस योजना को कामयाब बनाने हेतु बजट भी खूब दिया जा रहा बताते हैं। उप्र माध्यमिक शिक्षा विभाग ने संस्कृत स्कूलों में मानदेय पर कार्यरत शिक्षिकाओं को राहत हुए छह माह का मातृत्व अवकाश देने की घोषणा की और कहा कि मानदेय शिक्षकों को अधिकतम १० दिन का आकस्मिक अवकाश भी दिया जाएगा। संस्कृत विद्यालय में १० -१० शिक्षक तैनात हैं इनमें से १० से २५ हजार रूपये मानदेय दिया जाता है। पहले शिक्षकों के लिए पर्याप्त छुटिटयों की आवश्यकता नहीं थी अब उनकी मांग पर निर्णय लिए गए बताते हैं। विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन की ओर से जारी आदेशों में कहा गया है कि अनाधिकृत रूप से उपस्थित शिक्षकों को मानदेय नहीं दिया जाएगा। अनुपस्थित रहने वालों को शिक्षा निदेशक द्वारा सेवाएं समाप्त की जाएंगी। देश में आदिकाल से संस्कृत का बोलबाला है और इसकी महत्ता इससे समझी जाती है कि कई भाषाओं का जन्म इसके माध्यम से हुआ बताते हैं। लेकिन इस खबर को पढ़कर सरकार की प्रशंसा करने वाले कुछ नागरिकेंा का कहना है कि सारी सुविधाएं तो दी जानी चाहिए लेकिन शिक्षा विभाग को संस्कृत महाविद्यालयों व स्कूलों की जांच करानी चाहिए कि शिक्षक नियमित रूप से पहुंच रहे हैँ या नही। ऐसे लोगों का कहना है कि कई महाविद्यालयों में जितने शिक्षक हैं लेकिन प्रैक्टिल में छात्रों की संख्या नहीं होती कागजों पर होने की बात अलग है। मेरा मानना है कि ग्रामीण कहावत जब कहीं धुआ उठ रहा है तो चिंगारी जरूर लगी होगी। यह चर्चा चल रही है इसलिए किसी ईमानदार अधिकारी से संस्कृत विद्यालयों की सफाई की जांच कराई जाए। छात्र और शिक्षकों की संख्या क्या है। जो सुविधाएं छात्रों को मिलनी चाहिए वो उपलब्ध है या नही ं और शिक्षकों का व्यवहार कैसा है। कई लोगों का मौखिक कहना है कि ऐतिहासिक जनपद मेरठ के सदर बाजार क्षेत्र स्थित बिल्वेश्वर नाथ मंदिर जहां रावण की पत्नी के पूजा करने आने की चर्चा रही है वहां के स्कूल की जांच सबसे पहले की जानी चाहिए और दोषियों पर कार्रवाई की जाए। संस्कृत को बढ़ावा देने क ेलिए सरकार जितना बजट दे रही है इस बात पर भी ध्यान रखना होगा। कितने ही लोगो ंका कहना है कि पूर्व में जो शिक्षक रखे गए थे उनसे सेटिंग के तौर पर काफी कुछ लिया गयाऔर मानक भी खरे नहीं उतरे।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ
संस्कृत को बढ़ावा देने और छात्रों को अच्छी शिक्षा एवं वातावरण मिले इसके लिए मेरठ के बिल्वेश्वर नाथ मंदिर समेत संस्कृत के स्कूलों की हो आकस्मिक जांच
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