Saturday, October 25

धार्मिक स्थलों पर मिलने वाले खजाने से देश हो सकता है ऋण मुक्त और जनहित की योजनाएं पूरी

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54 साल बाद 18 अक्टूबर शनिवार को धनतेरस के दिन अपर जिलाधिकारी पंकज वर्मा ने बताया कि हाई पावर कमेटी के पूर्व जज अशोक कुमार के आदेश अनुसार 1 बजे खजाना खोला गया इस मौके पर जुनियर डिविजन सिविल जज एडीएम सिटी एसपी सिटी मजिस्ट्रेट सीएमओ सीएफओ के समक्ष जब तहखाना खोला गया तो मौके पर सीओ सदर सहित भारी फोर्स वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी हर तरह की स्थिति निपटने के लिए तैयार थे क्योंकि यदि कोई जहरीला सर्प व कीड़े और जहरीली गैस निकले तो उसे काबू किया जा सके। इस मौके पर डाक्टरों की टीम ऑक्सीजन गैस के साथ मौजूद रही। बीते दो दिन से चल रही जांच पड़ताल में मंदिर के तहखाने से चांदी का छत्र सोने चांदी की चार छाड़े नग और सिक्के 83 साल पुराने बताये जा रहे है वो बरामद हुए। बताते है कि खोजबीन में जो बैसकिमती खजाना मिला वो अपने आप में महत्वपूर्ण है लेकिन यह विषय चर्चा का है कि 54 साल बाद तहखाना खुला फिर भी ना तो कूड़ा था और न जाले और ना ही कोई जहरीले जानवर मिला। लोगों को जितनी उम्मीद सामान मिलने की थी वो नहीं मिली। अब सबकी निगाह बैक के स्टॉग रूम के बक्शे में जो मथुरा में भूतेश्वर रोड शाखा में रखवाया गया था। और तहखाने को सील किया गया था इसलिए अब कमेटी पूरी जानकारी हासिल कर रही है क्योंकि शनिवार को जो कमरा खोला गया था उसमें दो संदूक खोलने से रह गये थे उसमें जो सामान निकला है पहले दिन लगभग 3 घंटे की सर्च के बारे में जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह का कहना है कि जो भी सामान मिला है उसकी पूरी सूची 29 अक्टूबर को होने वाली बैठक में कमेटी के अध्यक्ष को सौंपी जाएगी। मगर जितनी उम्मीद थी पाठकों के अनुसार उतना सामान नहीं निकला है। तोपखाने की दूसरी कोठी में फर्श के नीचे बनी सीढ़ियों से जाकर तीसरी कोठी मिली जो बिलकुल खाली थी। यहीं पर आगे चलकर ठाकुर जी का सिंहासन जानकारों का मौखिक रूप से कहना है कि सही स्थिति तो अब खजाने के बारे में 29 की बैठक के बाद ही स्पष्ट होगी मगर लगता है कि जो चर्चाएं शुरू हुई वो तब तक थमने वाली नहीं है। अभी पिछले दिनों माननीय न्यायालय द्वारा कहा गया था कि मंदिरों का जो खजाना है वो उनका ही है यह बात सही भी है। लेकिन अपने देश के मंदिरों में जिस प्रकार से अकूत खजाना सोना चांदी हीरे और रत्न मिल रहे है उसे देखकर तो एक बार को यह लगता है कि यह इतना है कि अगर सही प्रकार से मंदिर कमेटियां व ट्रस्टी तथा पंडे पुजारी राजी हो जाए तो पूरा देश कर्जमुक्त और सरकार की सारी जनहित की योजनाएं लागू हो सकती है। खैर जो भी हो धनतेरस के दिन मिले खजाने को लेकर जो खोज चल रही है उसमें आश्चर्यजनक परिणाम भी खुलकर आ सामने आ सकते है। मेरा मानना है कि केन्द्र और प्रदेश की सरकारों को सभी धार्मिक मंदिर और ट्रस्टों के पदाधिकारियों व पंडे पुजारियों की जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक एक बैठक बुलाकर सहमति के आधार पर धन संपत्ति का आकंलन करने हेतु सभी के खजाने खुलवाकर उसकी सूची तैयार करानी चाहिए जिससे भगवान को अर्पित धन सुरक्षित रहे और उसे सबकी मर्जी से जनहित के काम में भगवान की इच्छा अनुसार उपयोग किया जाए क्योंकि चाहे प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी हो या शंकर जी आदर्श पुरूष भगवान राम हो या कृष्ण सबका उद्देश्य जितना पढ़ने और सुनने को मिलता है वो समय अनुसार जनता की सुविधाओं के लिए काम करने का था। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए बड़े उद्योगपतियों व्यापारियों और भगवान में विश्वास रखने वाले व्यक्तियों द्वारा दान की गई संपत्ति को अब धर्म कर्म और सेवा काम में खर्च किया जाए जो दान का उद्देश्य होता है।
(प्रस्तुतिः- अंकित बिश्नोई राष्ट्रीय महामंत्री सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए पूर्व सदस्य मजीठिया बोर्ड यूपी संपादक व पत्रकार)

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