रावण पर विजय प्राप्त कर १४ साल के वनवास के बाद नई उम्मीदों की सकारात्मक सोच का उपहार लेकर नागरिकों के लिए अयोध्या लौटे भगवान श्रीराम, लक्ष्मण सीता और हनुमान जी के स्वागत के लिए जिस प्रकार का उत्सव उस समय वहां के निवासियों ने राजा राम के स्वागत हेतु किया होगा भले ही वैसा वर्तमान में ना हो पाए लेकिन २६ लाख दीये अयोध्या में प्रज्जवलित कराकर जो एक संदेश धार्मिक भावना से ओपप्रोत भक्तों और प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी द्वारा दिया गया उसके बारे में कोई कुछ भी सोचता हो लेकिन ऐसे भक्तिभाव और श्रद्धा से परिपूर्ण मनाए जाने वाला त्योहार दीपावली हम सबकी भावना से जुड़ा है।
लेकिन जिस प्रकार से रंगों में सफेद और काला प्रचलित है वैसे ही त्योहार भी सही मायनों में गरीब और अमीर ही पूरे उत्साह से मनाते हैं। मध्यम दर्जे का व्यक्ति तो अपनी रचनात्मक सोच और सबके हित की बात करते हुए साफ मन शोभा समृद्धि और वृद्धि की कामना करते हुए त्योहरों के प्रति आलोकिक विचारों के साथ मना रहे हैं। बाकी बाहुबली धनबली और किसी भी प्रकार से ताकतवर व्यक्तियों में से ज्यादातर इस त्योहार पर दिखावा करने से नहीं चूक रहा तो समाज के निचले स्तर का व्यक्ति जो हर त्योहार को बिना कुछ खरीदे हुए भी उमंग के साथ दीपावली मना रहा है। भले ही उसे मिठाई और पकवान ना उपलब्ध हो लेकिन वो गुड़ और सूखी रोटी खाकर भी भगवान का गुणगान करते हुए सबकी सुख समृद्धि की कामना करने में लगा है तो मध्यम दर्जे का व्यक्ति एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को आगे बढ़ाते हुए इस पर्व को मनाने में लगा है मगर अगर सही मायनों में देखें तो इस पर्व के पीछे जो भावना छिपी है उसके तहत दीयों का यह त्यौहार वही व्यक्ति मना रहा है जो सोचता है कि मैं भी भूखा ना रहूं और पड़ोसी भी भूखा ना सोए। पड़ोसी समर्थ होगा तो मेरा जीवन खुशहाल और कठिनाई विहीन हो जाएगा। कुल मिलाकर रोशनी के इस पर्व को मनाने का जो उल्लास आठ दिन पहले से शुरु होता है वो भले ही त्योहार आकर चला जाए वो महिनों तक चलता है। क्योंकि उमंग और उत्साह कभी नहीं मरते। वो ही हर परिस्थिति में संतोष से जीने और कठिनाईयों में रहने का सबक भगवान राम के १४ वर्ष के वनवास में घटी घटनाओं से देता है। शायद इसी का परिणाम है कि वर्तमान समय में हमारे देश के धार्मिक स्थानों के पास टनो सोना और चांदी का भंडार है। अगर मथुरा के शनि मंदिर में अगर छह छह महीने बाद के भंडारे को है तो मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के गुप्तकालीन श्री महालक्ष्मी जी के मंदिर में दीपावली के अवसर पर भक्तों के लिए विशेष पूजा पाठ और महत्व रखता है। इसी परंपरा के तहत अगले ३९ सालों तक यहां भगवान को भोग लगाने वालों के इच्छुक लोगों को बुकिंग मिली है। नए लोगों को २०६५ तक इंतजार करना होगा। इन दोनों बातों का यहां जिक्र करना इसलिए जरूरी है कि जिस प्रकार भगवान राम सहनशीलता और धैर्य के साथ १४ साल का वनवास काट अयोध्या लौटे और पांडवों ने कुछ सालों का अज्ञातवास पूर्ण कर दोबारा अपने राज्य की प्राप्ति की उस धैर्य का समावेश आज भी भगवान के भक्तों में चाहे वह प्रथम पूजनीय गणेश जी हो या भगवान महादेव की आराधना करता हो या राधे का जाप करता हो उसमें भी इतनी सहनशीलता है कि वह चार दशकों तक नंबर आने का इंतजार करता है। जैसे उद्योगपति अपने बच्चों के लिए धन छोड़कर जाते हैं इसलिए हम सदियों पहले जो धार्मिक व्यवस्थाएं शुरु हुई उसे आज भी मान रहे हैं। धनतेरस के दिन देश में लाखों करोड़ों के सामान खरीदे गए। मंदिरों को फूलों और लाइटों से सजाया गया। लोग एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं। कुल मिलाकर भगवान के आशीर्वाद से यह दीपोत्सव लगभग तीन दशक बाद इतनी जोर शोर से मनाया जा रहा है इसके लिए हमें भगवान का शुक्रिया अदा करते हुए हमें जो सुविधाएं उसने दी है इस पावन पर्व पर आओ उनका लाभ अपने आसपास रहने वालों और सहयोगियों का भी पहुंचे ऐसा कार्य करें जिसमें सबके भले की भावना हो रोशनी के इस त्योहार पर भगवान के आशीर्वाद के प्रति नतमस्तक होते हुए मैं सभी को अपनी बधाई व शुभकामनाएं देता हूं और परमपिता परमात्मा से आग्रह करता हूं कि भगवान जिस प्रकार से मेरे को सुख समृद्धि और अच्छे जीवन का उपहार दिया है सभी पर अपनी कृपा भगवान राम बरसाएं यही कामना करता हूं। हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी वर्तमान समय में देवी देवताओं का ध्यान कर भगवान राम के द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलते हुए सबके दुख हरने और उन्हें सुख पहुंचाने की नीतियां लागू करने के साथ ही देश की एकता अखंडता के लिए कार्य कर रहे हैं।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
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