Tuesday, October 14

वाजपेयी जी 40 हजार ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त होने का मुददा अदालतों में केस संख्या बढ़ाने का करेगा काम, पुलिस की निरकुंश कार्यप्रणाली पर रोक लगवाने के लिए आप की ओर आशा से देख रहा है आम आदमी

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केंद्र व प्रदेश सरकारों द्वारा वाहन चालकों व सड़क सुरक्षा और गडढा मुक्त मार्गो के लिए बजट व सुधार के निर्देश दिए जाने के बावजूद जो स्थिति अपने यहां सड़कों की है उससे कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। दूसरी तरफ स्थानीय पुलिस प्रशासन वाहन चालकों के लिए निर्धारित सुविधाएं उपलब्ध कराने में सक्षम नजर नहीं आ रहे। यह बात हर व्यक्ति जानता है। फिर भी सुविधा के नाम पर तो कुछ नहीं लेकिन चालान काटने और आम नागरिकों को परेशान करने का कोई मौका कुछ पुलिस वाले नहीं चूकते है। जहां तक नजर आ रहा है हमारे जनप्रतिनिधि भी इस ओर ध्यान देना नहीं चाहते लेकिन अब यह पक्का है कि जिस प्रकार से यातायात पुलिस नागरिकों को परेशान करने के लिए ४० हजार वाहन चालकों के लाइसेंस निलंबित कराने की कोशिश कर रही है उसे कितनी सफलता मिलेगी यह तो समय ही जान सकता है मगर समस्याएं खड़ी होंगी यह किसी से छिपा नहीं है। क्योंकि जब ऐसी कार्रवाई पुलिस या किसी के भी द्वारा शुरु की जाएगी तो नागरिकों को मजबूर होकर अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा और यह विश्वास से कहा जा सकता है कि उसमें गलत तरीके से वाहन चालकों को परेशान करने के लिए जो कार्यप्रणाली अपनाई जाएगी वो अदालत में किसी भी रूप में नहीं टिक पाएगी। पुलिस कार्यप्रणाली को तो शहर में कहीं भी देखा जा सकता है क्योंकि अधिकारी द्वारा घने बाजारों में ई रिक्शा जाने पर प्रतिबंध के लगाने के अतिरिक्त उनके लिए मार्ग भी तय किए गए हैं लेकिन इस मामले में सभी आदेश कागजी हो रह गए हैं क्योंकि सदर हो या वैली बाजार अथवा खैरनगर बाजार आदि सब जगह धडड़ल्ले से ई रिक्शा चल रहे हैुं लेकिन पुलिस को यह दिखाई नहीं दे रहा। ना वो इनके उतने चालान करते हैं। सिर्फ आम आदमी को प्रताड़ित करना शुरु कर दिया जाता है। अभी कुछ माह पूर्व इस बारे में रूड़की रोड के एक प्रकरण को लेकर कैंट विधायक अमित अग्रवाल द्वारा भी सवाल उठाए गए थे लेकिन वह नक्कारखाने में तुती के समान साबित हुए। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि पुलिस के कुछ विभाग और अफसर की लापरवाही से आमनागरिक परेशान है शायद इसलिए भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकेट द्वारा आठ को पुलिस कर्मियों के खिलाफ रणसिंघा बजाने की बात कही गई है। यह किसी से छिपा नहीं है कि जब भाकियू का रैला चलता है तो आम आदमी को परेशान करने में अपनी शान समझने वाले अफसर और कर्मी तमाशबीन बनकर खड़े हो जाते हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राज्यसभा सदस्य डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की ओर नागरिक इस मुददे में उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। कितनों का कहना कि यह जो ४० हजार वाहन चालकों के लाइसेंस निरस्त की योजना पुलिस बना रही है उसे लक्ष्मीकांत जी को वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर समाप्त कराया जाए। अभी यूपी में पिछले दिनों कुछ वर्षोँ के चालानों को निरस्त किया गया है। कुछ मामलों में दिल्ल्ली पुलिस भी ऐसा पहले कर चुकी है व अवैध वाहन सामान भरकर चलने वाली ट्रॉलियां और जुगाड़ वाहन लंबे लंबे गाटर ले जाती है और टेंपों जहरीला धुंआ उड़ाने उनके समय से निकल जाते हैं वह तो उनको दिखाई नहीं देता है। कुछ बिंदु बताकर चालान कर पर अपना नाम छपवाने वाले पुलिसकर्मियों की कार्यप्रणाली पर वाजपेयी जी रोक नहीं लगी तो नागरिकों का जीना मुश्किल हो सकता है।
वाजपेयी जी लिंक रोड हो या कोई और मुददा जब भी नागरिकों परेशान होते हैं तो उन्हें आप ही नजर आते हैं इसलिए आपको आगे आकर ऐसी व्यवस्था करानी चाहिए कि निरंकुश वाहन चालान पर रोक लगाई जाए। पहले चालकों को सुविधा उपलग्ध कराई जाए। अगर उसके बाद भी कोई लापरवाही करता है तो कार्रवाई की जानी चाहिए। वाजपेयी जी यह भी तय कराया जाए कि जो जगह जगह वाहनों के मार्ग बदले जाते हैं ओर बिना सलाह के रास्ते रोक लिए जाते हैँ इसके लिए चाटुकारों के साथ नहीं समाज में सक्रिय समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों के साथ यातायात व्यवस्था बनाने के लिए बैठक की जाए। वर्तमान में पुलिस व्यवस्था के चलते ही दुर्घटनाओं की संभावनाएं ज्यादा बनती हैं और यह ४० हजार लाईसेंस निरस्त हुए तो यह स्पष्ट है कि दुर्घटनाएं और आम आदमी की उतपीड़न बढुेगा। लाइसेंस हो या ना हो काम तो नागरिकों को वाहनों से निपटाने पड़ेंगे। वो कट मारकर इधर उधर से निकलेंगे तो हादसें तो होंगे ही। वाजपेयी जी आप स्थिति में है कि जनता की बात अफसरों को समझा सकें। इसलिए इस मामले में अब आपको चुप नहीं रहना चाहिए क्येांकि यह एक गंभीर विषय तो बनेगा ही। केंद्र सरकार के अदालतों में मुकदमे कम करने का अभियान भी सफल होगा। कहीं से राहत मिले ना मिले पुलिस की इस कार्यप्रणाली से तो राहत मिलेगी ही। क्योंकि अपनी मनमर्जी से केस लंबित रहने पर जो शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने की नीति अपनाई जाती है उस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश आया है कि ऐसे मामलों में शस्त्र लाइसेंस निरस्त नहीं किया जा सकता तो आप समझ सकते हैं कि यह जो ४० हजार लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई हो रही है यह भी अदालत में टिक नहीं पाएगी। और अगर अफसर सोचते हों कि इस डर से लोग सुधर जाएंगे तो ऐसा संभव नहीं है क्योंकि यह तो चालान है सरकार ने दुष्कर्म व अन्य अपराधों में उम्रकैद लाखों के जुर्माने निर्धारित कर रखे हैं लेकिन रोजाना के अखबारों में ऐसे मामले पढ़ने को मिलते रहते हैं। वाजपेयी जी आप ऐसे उत्पीड़न के मामलों को रूकवाये। यह काम आप आसानी से कर सकते हैं पक्का है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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