वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा बीते दिनों प्रदूषण की रोकथाम और उससे होने वाले नुकसान से आम आदमी को बचाने के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट से डीएम भी कर सकेंगे शिकातय और पराली जलने पर अधिकारियों पर होगी कार्रवाई के निर्देश बिल्कुल सही है। नागरिकों को प्रदूषण से बचाने के लिए सख्त निर्णय लिए जाने चाहिए लेकिन यह सिर्फ पराली पर ही क्यों। नियमों का निर्धारण करने वालों को यह भी देखना होगा कि ज्यादा प्रदूषण किस बात से फैल रहा है। पराली किसानों द्वारा जलाई जाती है जहां दूर दूर तक आबादी नहीं होती इसलिए ग्रामीण जीवन का आभास होने के चलते कह सकता हूं कि ऊपर दिए गए बिदुओं से ज्यादा प्रदूषण फैलता है। शहरों में कूड़ा, टायर और प्लास्टिक के तार जलाने तथा एनसीआर में टेंपुओं से निकलता धुंए के अतिक्ति जिन कारों व घरों में एसी लगे हैं वो गर्मी व प्रदूषण बढ़ाने व पर्यावरण के लिए हानिकारक होती है तो पराली के साथ साथ उन पर रोक लगाने और इनमें से कुछ जलता मिले तो उस क्षेत्र के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की आवश्कता है। किसान को ही पराली जलाने के नाम पर टारगेट करना किसी को भी पसंद नहीं आएगा वो भी तब जब केंद्र व प्रदेश सरकारें किसानों के हितों का दंभ भरता हो। मेरा मानना है कि प्रदूषण फैलाने वालों पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग जनहित में ध्यान दें।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग दे ध्यान! पराली जलाने से भी ज्यादा प्रदूषण फैला रहे हैं टायर, प्लास्टिक के तार जलाने और एसी व वाहनों से निकलने वाला धुंआ है खतरनाक
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