


दैनिक केसर खुशबू टाइम्स
मेरठ 19 जून (प्र)। 8 कीटनाशक दुकानदारों द्वारा अपना लाईसेंस सत्यापन न कराने आदि बिन्दुओं को लेकर जिला कृषि अधिकारी राजीव कुमार सिंह ने बीते बुधवार को इनके आठ लाईसेंस रद कर दिये। एक दिन में की गई यह कार्रवाई अपने आप में काफी महत्वपूर्ण बताई जा रही है। और जानकारों का कहना है कि यह शासन के नियमों का पालन कराने की नीति के तहत किया गया है। इस खबर को पढ़कर आज कितने ही जागरूक नागरिकों में यह चर्चा सुनने को मिली कि अन्य विभागों के अफसर सरकार के नियम और नीतियों का पालन कराने के लिए इस प्रकार की छापेमारी क्यों नहीं कर रहे। थाना सदर बाजार के क्षेत्र गंज बाजार में आज सुबह कुछ सामान लेने जाना पड़ा तो सब्जी खरीद रहे दो अंजान लोगों में हो रही बात से सामने आया कि यहां सदर स्टेट बैंक शाखा के निकट खुली वर्द्धमान इंटरप्राईजेज फर्म जिसमें लगभग हर तरह का प्लास्टिक व घरेलू जरूरत का सामान उपलब्ध है इसकी ओर जीएसटी विभाग वाले अफसर ध्यान क्यों नहीं दे रहे। असलियत क्या है यह तो दुकानदार चर्चा करने वाले अथवा जीएसटी के अधिकारी ही जान सकते है। मगर चर्चा करने वाले यह शंका भी व्यक्त कर रहे थे कि यहां प्रतिबंधित प्लास्टिक के सामान की बिक्री में भी हो सकती है। जो भी हो खबर शासन और जनहित की थी इसलिए इधर ध्यान दिया गया और एक घुमंतू संवाददाता ने खोज खबर की तो जो तथ्य सामने आये उसके अनुसार स्टेट बैंक शाखा से कुछ दुकान छोड़कर खुला वर्द्धमान इंटरप्राईजेज का शोरूम रिहायशी उपयोग की भूमि पर घर के नीचे ही खुला है और इसकी गहराई और चौड़ाई भी कई दर्जन फीट है उसके बावजूद संचालक ने तमाम सामान सड़क पर लगाकर सरकारी भूमि घेर रखी है। यहां मौजूद एक ग्राहक से जब पूछा गया कि क्या शोरूम संचालक ने सामान का पैसा लेकर कम्प्यूटराईज बिल दिया तो उसने मना कर दिया। तब जिज्ञासावश अंदर झांककर देखा गया तो कहीं ढके छिपे रूप में जीएसटी रजिस्ट्रेशन लिखा हो तो बात और है लेकिन सार्वजनिक रूप से कहीं जीएसटी नम्बर लिखा नजर नहीं आया। और ना ही कम्प्यूटराईज बिल देने के लिए कोई कम्प्यूटर रखा दिखाई दिया। कुछ लोगों से पता करने पर मौखिक जानकारी हुई कि यह दुकान काफी समय से पुराने घर में खुली हुई है और इसके संचालकों के द्वारा सड़क पर सामान रखे जाने से कई बार दिन में जाम की समस्या भी पैदा होती है। यह खबर कैन्ट बोर्ड के अतिक्रमण हटाओ अभियान के अधिकारियों के सामने क्यों नहीं पहुंची और जीएसटी विभाग के अफसरों द्वारा इस संदर्भ में कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही और की गई तो उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया। यह विषय चर्चाओं का बना हुआ है। कुछ लोगों का मौखिक रूप से कहना था कि जैन साहब की इस सहित और भी कई दुकानें अवैध निर्माणों और रिहायशी में खुली है और दुकानों पर फुटकर और थोक में सामान बिकता है और एक दाम होता है तथा लाखों रूपये की लेबेच की बात भी सामने आई है। देखना है कि कैन्ट बोर्ड और जीएसटी विभाग के अधिकारी कब कार्रवाई करते है यह समय बताएगा।
