बेटियां पढ़ेंगी तो आगे बढ़ेंगी का नारा कुछ सालों से सुनने को खूब मिलता है। इसे साकार करने हेतु सरकार ने जनपदों में कस्तूरबा गांधी विद्यालय भी खोले हैं। सबसे बड़ी बात इन स्कूलों के प्रति अपने बच्चियों को पढ़ाकर कामयाब बनाने का सपना देखने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों में काफी महत्व समझा जाता है। इसलिए गांवों में जब कुछ रिश्तेदार आते हैं तो अभिभावक बड़े गर्व से बताते हैं कि उनकी बच्चियंा कस्तूरबा गांधी विद्यालय में पढ़ रही है। वहां रहने खाने के साथ ही सब सुविधाएं मिलती है। ऐसे में थाना सरूरपुर के ग्राम भूनी स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय से तीन छात्राओं का लापता हो जाना बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे जहां बच्चियों को पढ़ाने की सरकार की मंसा को धक्का पहुंच सकता है वहीं उन ग्रामीणों का विश्वास भी डगमगा सकता है जो बच्चियों को यहां भेजकर सोचते हैं कि उनकी बच्चियां कामयाब होकर ही आएंगी।
मैं खुद भी देखा है कि मेरे परिचित परिवार मुरादाबाद की बच्ची कस्तूरबा गांधी विद्यालय में पढ़कर कामयाब हुई। परिणामस्वरूप उसके अच्छे परिवार में शादी हुई लेकिन अगर इस तरह की घटनाएं सुनने पढ़ने को मिलेंगी तो यह पक्का है कि अपनी बच्चिों को यहां पढ़ाने के लिए भेजने के लिए तैयार ग्रामीण अपनी बेटियों को यहां नहीं भेजेंगे चाहे पढ़ाई हो या ना हो। सवाल उठता है कि प्रतिबंध के बावजूद बच्चियों के पास मोबाइल कहां से आया और जब खबर के अनुसार वार्डन ने उसे पकड़ा तो शिक्षिका बिंदिया ने हस्तक्षेप कर वापस क्यों दिलाया। दूसरे कुछ लोगों का यह कथन कि छात्राओं को बाहर भी भेजा जाता था। ऐसा कौन करता था और किसके इशारे पर ऐसा होता था यह भी जांच का विषय है। दूसरी तरफ आखिर कुछ देर के लिए तार टूट जाने के नाम पर सीसीटीवी कैमरे बंद कैसे हुए और सही क्यों नहीं कराया गया। बताते हैं कि घटना कई घंटे तक उच्चाधिकारियों से छिपाई रखी गई और जब शाम तक लापता छात्राओं का पता नहीं चला तो उच्चाधिकारियों को खबर दी गई जिस पर जिलाधिकारी डॉ. वीके सिंह एसएसपी डॉ. विपिन ताडा सीडीओ नुपूर गोयल एडीएम प्रशासन बलराम सिंह, एसपी देहात राकेश मिश्रा, और बीएसए आशा चौधरी के अलावा थाना प्रभारी आदि मौके पर पहुंचे और खोजबीन शुरू की। इस बारे में खबर लिखे जाने तक कोई विशेष जानकारी नहीं मिल पाई थी लेकिन यह कहा जा रहा था कि वार्डन रीना कुमारी सहित पांच शिक्षिकाएं दो गार्ड और एक चौकीदार से पूछताछ हो रही है और कुछ के खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है। परिजनों का कहना है कि विद्यालय में आते थे बाहर से लोग और छात्राओं से घरों पर करवाई जाती थी बेगारी। बजरंग दल कार्यकर्ता अनुज बजरंगी अभिषेक चौहान आदि ने इस घटना को घोर लापरवाही बताते हुए स्कूल स्टॉफ चौकी इंचार्ज को निलंबित कर सख्त कार्रवाई की मांग की। घटना गंभीर है। उच्च स्तर पर पुलिस प्रशासन मामले की तह तक जाने और बच्चियों की वापसी के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा बताते हैं।
मगर सवाल यह उठता है कि स्कूल के पीछे की दीवार दस फुट उंची है। उस पर कांच भी लगा है। इसलिए उसे फांदकर बाहर नहीं जाया जा सकता। मुख्य गेट पर गार्ड और चौकीदार रहते हैं। विद्यालय में जाने आने वालों की एंट्री रजिस्टर में होती है। इसके बावजूद तीन छात्राओं का गायब हो जाना और कई घंटे तक उसे अफसरों से छिपाए रखना स्कूल स्टाफ की गतिविधियों को संदिग्ध बताता है। लापरवाही का आलम यह है कि स्कूल के बोर्ड पर खंड शिक्षा अधिकारी का नंबर तक नहीं लिखा है। बताते चलें कि सरकार जितना किसी भी रूप में शिक्षा से वंचित बेटियेां को शिक्षित बनाने की कोशिश कर रही है लेकिन सुनने पढ़ने को मिलता है कि इसके लिए संचालित स्कूल व अन्य संस्थाओं का स्टाफ अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में लापरवाही करते हैं और घटना होने पर कुछ दिनों तक तो ऐसे संस्थान पुलिस की छावनी और सुरक्षा के किले बन जाते हैं लेकिन धीरे धीरे फिर सब एक ढर्रे पर चल निकलते हैं और शायद यही कारण है कि कस्तूरबा गांधी विद्यालय से तीन छात्राएं लापता हो गई। मेरा मानना है कि छात्राओं को बरामद करने के लिए शासन प्रशासन को इनके अभिभावकों में विश्वास की भावना पैदा कर कस्तूरबा गांधी विद्यालय की जो साख ग्रामीणों में बनी है उसे बनाए रखने के लिए थोड़ी सख्ती और व्यवस्था मजबूत करनी होगी क्योंकि देश की हर बच्ची को साक्षर बनाना है तथा बेटियां पढ़ेगी आगे बढ़ेंगी नारे को कामयाब बनाने के लिए यहां होने वाली लापरवाही समाप्त होनी चाहिए। मेरा एक सुझाव भी है कि इनमें जो स्टाफ रखा जाता है उनमें योग्यता अनुसार यहां पढ़ रही कुछ बच्चियों के मां बाप को नौकरी दी जाए। जिससे माहौल पवित्र बना रहे और स्टाफ भी लापरवाही ना करने की सोच पाए। क्योंकि जिनकी बच्चियां पढ़ रही होंगी वो ऐसा कुछ गलत भी नहीं होने देंगे किसी भी छात्रा के साथ। तभी देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी व सीएम योगी का साक्षरता को बढ़ावा देने और बच्चियों को पढ़ाने का सपना साकार हो सकता है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
कस्तूरबा गांधी विद्यालय के प्रति ग्रामीणों का विश्वास बना रहे, पढ़ने वाली छात्राओं के अभिभावको को दी जाए इनमें जिम्मेदारी
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