Friday, November 21

बेगमपुल पर अवैध रूप से तैयार सेनको गोल्डन एंड डाइमंड शोरूम के विरूद्ध कौन करेगा कार्रवाई, क्या इसका भी फर्जी निस्तारण कर देंगे जेई साहब, कार्रवाई हुई तो लग सकती है सील

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मेरठ 17 मई (प्र)। कभी कभी एक कहावत सुनने को मिलती है कि उसका बस चले तो घंटाघर की रजिस्ट्री करा दें। ऐसा ही कुछ आजकल मेडा के अवैध निर्माण रोकने से संबंध कुछ अधिकारियों की कार्यप्रणाली को देखा जा सकता है। क्योंकि बेगमपुल पर बन रहे सेनको ज्वैलरी के शोरूम के बारे में यह बात पूरी तौर पर सही उतरती है। बताते चले कि पिछले वर्ष इसी रोड़ पर शोरूम में इसलिए सील लगा दी थी कि विभाग से सुधार करने की अनुमति नहीं ली गई। लेकिन इस शोरूम में पिछले कई महीने से तोड़फोड़ और अंदर ही अंदर काम चल रहा है। पूर्व में बताते है कि कुछ लोगों ने मौखिक रूप से पूर्व वीसी से इस संदर्भ में शिकायत भी की थी लेकिन शोरूम कुछ ही दिनों में बनकर तैयार हो गया। इसके संचालक किसी वीआईपी को बुलाकर इसका उद्घाटन करा देंगे। सरकार की निर्माण नीति और अवैध निर्माण न होने देने तथा शहरों को जाम मुक्त बनाने की नीति धरी की धरी रह जाएगी। और मेरठ विकास प्राधिकरण के जेई साहब सेटिंग करके फर्जी निस्तारण करके भेज देंगे। और पहले से ही जाम की समस्या झेल रहा शहर का आम आदमी और समस्याऐं झेलने के लिए मजबूर होंगा क्योंकि शोरूम बिलकुल सड़क से बना हुआ है और ना इसमें नियमानुसार छोड़ी जाने वाली 12 फीट जगह है ना ही पार्किंग और इतना ही नहीं साईड और बैक व फायर एक्जिट भी नहीं छोड़ा गया है। आने वाले ग्राहकों के वाहन कहां खड़े होंगे जेई साहब को इससे क्या मतलब। उनके बारे में कुछ लोगों का यह कथन सही प्रतीक होता है कि उनके सेटप से तो यह सब हो रहा है बीना उनकी मर्जी से तो कोई एक ईंट नहीं लगा सकता है। क्योंकि जैसा देखने सुनने में आता रहा है कि छोटे छोटे घर इनके द्वारा सील कर दिये जाते है क्योंकि सेटप नहीं हो पाता। नियमानुसार निर्माण ना बड़े कर रहे है ना छोटे। गत दिवस महाराष्ट्र के विरार वसई क्षेत्र के टाउन प्लानिंग विभाग के डिप्टी डायरेक्टर वाई एस रेड्डी के यहां 32 करोड़ के जेवर व नगदी मिली। कुछ जानकारों को कहना है कि मेडा के अवैध निर्माण से संबंध अधिकारियों की अगर गोपनीय जांच कराई जाए तो ऐसे की उनके यहां करोड़ों के सामान व नगदी बरामद हो सकती है। देखना है कि इस निर्माण के विरूद्ध समय रहते जेई साहब क्या कार्रवाई करते है या नहीं। क्योंकि बताया जाता है कि ज्यादातर मामलों में जेई साहब मौके पर जाते नहीं अपने किसी सहयोगी को भेजकर अपने नाम से उसी से निस्तारण करा देते है। और उसमें लिख देते है कि शिकाकर्ता से बात नहीं हो पाई। आखिर कब होगी ऐसे निर्माणों पर कार्रवाई।

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