
मेरठ 09 सितंबर (दैनिक केसर खुशबू टाइम्स)। पुराने उद्योगपति व सेठों ने देशभर में व्यापारियों आदि की समस्याओं के समाधान और उन पर चर्चा हेतु अनेक संस्थाऐं आजादी से पहले और बाद में बनाई और उन्हें चलाने के लिए भी काफी प्रयास किए गए। एक समय था जब इन संस्थाओं में आने के लिए बड़े बड़े अधिकारी और जनप्रतिनिधि हमेशा तैयार रहते थे। क्योंकि इनके जो सदस्य हुआ करते थे वो एक प्रकार से समाज का नेतृत्व अलग अलग तरीके से करने में सक्षम समझे जाते थे। ऐसी ही शीर्ष संस्थाओं में अपने शहर के कैन्ट क्षेत्र में उस जमाने के देश के नामी उद्योगपति रायबहादुर सेठ गुर्जरमल मोदी द्वारा कैन्ट क्षेत्र के बांबे बाजार में 1945 में चैंबर आफ कामर्स एडं इंडस्ट्रीज खोलने के साथ एक भव्य मीटिंग हाल भी स्थापित किया गया। आदरणीय सेठ गुर्जरमल मोदी 1945 से 1957 तक लगातार इसके संस्थापक अध्यक्ष रहे बताते है। उस जमाने में मोदी जी के बाद बनारसी दास गुप्ता श्याम दास एसएम मित्तल अरविन्द नाथ सेठ और उनके साथ उपाध्यक्ष रहे डा0 ब्रजभूषण गोयल कार्यवाहक अध्यक्ष रहे और अब 2019 से रामकुमार गुप्ता इसके अध्यक्ष पद पर विराजमान है। बताते चले कि क्लब में प्रेसिडेंट वाइस प्रेसिडेंट और ज्वाइंट सेकेट्री सहित कार्यकारिणी के कुछ मैंबर होते है। हर साल लगभग एक तिहाई का चुनाव होता है और इसके लिए नियमानुसार पहले एजीएम आयोजित होती थी उसमें सारा चुनाव कार्यक्रम तय होता था और फिर होते थे चुनाव।
स्मरण रहे कि चैंबर में सदस्यों के भी कई वर्ग है जिनका शुल्क भी अलग अलग होता है। काफी बड़ी संख्या में शहर के व्यापारियों की फर्मे व व्यक्तिगत व्यापारी भी इसके मैंबर है। लेकिन आज अचानक कुछ पुराने सदस्यों से चर्चा हुई तो उनका कहना था कि सेठ अरविन्द नाथ और कार्यवाहक अध्यक्ष ब्रजभूषण गोयल तक तो संस्था का कार्य खूब जोरशोर से चल रहा था।लेकिन जब से डा0 रामकुमार गुप्ता जी आये तब से धीरे धीरे कागजों में भले ही संस्था नियमानुसार चल रही हो लेकिन वैसे इतना बड़ा चैंबर कुछ लोगों की जेबी संस्था बनकर रह गई है। अब इसमें कितनी सत्यता है कितनी नहीं यह तो खोज का विषय है। मगर जो मौखिक चर्चा है उसके अनुसार अब ना तो सदस्यों की समस्याओं पर चर्चा करने और उन्हें केन्द्र और प्रदेश सरकारों द्वारा व्यापारी और उद्योगपतियों के लिए बनाई जाने वाली नीतियों की जानकारी देने हेतु जो बैठकें हुआ करती थी वो नहीं बुलाई जाती। लोगों का कहना है कि आखिरी मीटिंग में मेरठ विकास प्राधिकरण के उस समय के उपाध्यक्ष अभिषेक पांडे आइएएस को बुलाया गया था और उसमे भारी संख्या में सदस्य भी पहुंचे थे जो इस बात का प्रतीक कह सकते है कि इसके सदस्यों में आज भी चौंबर के प्रति रूझान है मगर उन्हें प्रोपर तरीके से बुलाया नहीं जाता। एक सदस्य ने बताया कि उसे ध्यान नहीं है कि चौंबर की एजीएम कब बुलाई गई थी बस यहीं पता चलता है सर्वसहमति से चुनाव हुए और रामकुमार गुप्ता अध्यक्ष चुन लिये गये।
सही स्थिति और यहां होने वाले कार्यों का ज्ञान तो अब तभी पता चलेगा जब इसकी एजीएम होगी। और चुनाव की तारीख घोषित की जाएगी। कितने ही सदस्यों का यह भी कहना है कि अभिषेक पांडे की आखिरी बैठक में भी रामकुमार गुप्ता सिर्फ लोकलुभावनी बाते करते और सदस्यों को सवाल करने से रोकते रहे। एक सदस्य ने जब अपनी बात रखी तो उसकी आवाज दबा दी गई। हम यह तो नहीं कहते कि रामकुमार गुप्ता जी ने अपने कार्यकाल में कुछ नहीं किया होगा मगर पिछले कुछ साल से कभी कोरोना के नाम पर तो कभी अन्य कारणों से चैंबर का संचालन अध्यक्ष के रूप में रामकुमार गुप्ता द्वारा उस तरीके से नहीं किया गया जिस तरीके से इसके संस्थापक रायबहादुर गुर्जरमल मोदी से लेकर कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में ब्रजभूषण गोयल तक किया गया। कुछ लोग बताते है कि श्याम दास एसएम मित्तल अरविन्द नाथ सेठ सुलतान सिंह जैन आदि के समय में चौंबर में बड़े अच्छे काम हुए और इसका पूरे देश में नाम था।
आसपास के जिलों से भी चैंबर में सदस्य है और वो पदों पर भी विराजमान रहते थे अब कागजों में भले ही कुछ भी हो रहा हो मगर आम सदस्यों को कोई विशेष जानकारी जो पहले हमेशा दी जाती रही डा0 रामकुमार गुप्ता जी के समय में बंद हो गई। अब इसमें कितनी सत्यता है यह तो कहने वाले ही जाने। लेकिन कुछ लोगों का मौखिक रूप से कहना है कि जब से ये आये है लगभग इन्होंने चैंबर को ठप ही कर दिया है। क्योंकि अब कागजी कार्यवाही भले ही पूरी होती हो मगर सदस्यों को जुड़ाव बनाये रखने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा। पूर्व में जो बैठक में मेडा वीसी को बुलाया गया था वो भी इंड्सवैली ग्रुप के चेयरमैन अजय गुप्ता जी के द्वारा आयोजित की गई बताई जाती है।