मेरठ 02 जून (प्र)। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है। उदय तिथि के अनुसार, गंगा दशहरा पर्व पांच जून को मनाया जाएगा। औघड़नाथ मंदिर के पुजारी पंडित सारंग त्रिपाठी कहते हैं कि इस दिन रवि योग का संयोग बन रहा है। इसलिए गंगा स्नान कर देवी गंगा व महादेव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। वहीं, इसके अगले दिन छह जून को निर्जला एकादशी का व्रत है। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का बड़ा महत्व बताया गया है। एकादशी का व्रत शुभ फल देने वाला होता है। एकादशी पर चावल बिल्कुल न खाएं। इस दिन भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी का पजन कर व्रत रखा जाता है।
निर्जला एकादशी की तिथि 6 जून 2025 को सुबह 2:15 बजे शुरू होकर 7 जून को सुबह 4:47 बजे तक रहेगी। इस बार एकादशी की तिथि करीब 24 घंटे तक बनी रहेगी और दोनों ही दिन उदयातिथि का संयोग बन रहा है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब एकादशी दो तिथियों पर आती है, तो गृहस्थ जनों को पहले दिन व्रत रखना चाहिए।
इस बार व्रत की अवधि बढ़कर 24 घंटे से अधिक की हो गई है, क्योंकि व्रत का पारण अगले दिन दोपहर में किया जाएगा। व्रत पारण का समय 7 जून 2025 को दोपहर 1:44 बजे से शाम 4:31 बजे के बीच रहने वाला है।
जो लोग संन्यास मार्ग पर हैं या मोक्ष की कामना रखते हैं, वे 7 जून को एकादशी का व्रत रख सकते हैं। वैष्णव संप्रदाय और इस्कॉन मंदिरों में यही दिन एकादशी के रूप में मान्य होता है। इस दिन व्रत रखने वाले 8 जून 2025 को सुबह 5:23 बजे से 7:17 बजे के बीच उपवास का पारण करें।
व्रत की शुद्धता बनाए रखने के लिए भक्तों को चाहिए कि दशमी की संध्या से ही अनाज का सेवन बंद कर दें, ताकि एकादशी के दिन व्रत की शुरुआत के समय शरीर में अन्न का कोई अंश न हो।