Tuesday, October 14

बांके बिहारी मंदिर का चढ़ावा संपत्ति सब न्यास संभालेगा

Pinterest LinkedIn Tumblr +

लखनऊ 14 अगस्त। उत्तर प्रदेश विधानसभा में यूपी सरकार ने बुधवार को ‘श्रीबांके बिहारी जी मंदिर न्यास विधेयक-2025’ पेश कर दिया। गुरुवार को इसे विधानसभा मंजूरी देगी। विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि श्रीबांके बिहारी जी मंदिर न्यास मंदिर में आने वाला चढ़ावा, संपत्ति व प्रशासन सब कुछ संभालेगा। न्यास श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण, वरिष्ठ नागरिक मार्ग, पेयजल जैसी अन्य सुविधाओं की विश्वस्तरीय व्यवस्था करेगा।

सरकार ने साफ कर दिया कि न्यास मंदिर की धार्मिक व सांस्कृतिक परंपराओं में हस्तक्षेप या उन्हें प्रभावित नहीं करेगा। किसी भी धार्मिक पहलू में उसका हस्तक्षेप नहीं होगा। मंदिर के चढ़ावे, दान व सभी चल-अचल संपत्तियों पर न्यास का अधिकार होगा। इसमें मंदिर में स्थापित मूर्तियां, देवताओं के लिए दी गई भेंट, समारोह-धार्मिक अनुष्ठान के लिए दी गई संपत्ति व मंदिर परिसर के उपयोग के लिए भेजे गए बैंक ड्राफ्ट व चेक तक शामिल हैं। आभूषण, अनुदान, हुंडी संग्रह सहित मंदिर की सभी चल एवं अचल संपत्तियां सम्मिलित मानी जाएंगी।

श्रद्धालुओं को कैसी सुविधाएं मिलेंगी?
न्यास गठन के बाद श्रद्धालुओं को विश्वस्तरीय सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है—प्रसाद वितरण, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए अलग दर्शन मार्ग, पेयजल, विश्राम हेतु बेंच, पहुंच एवं कतार प्रबंधन कियोस्क, गौशालाएं, अन्नक्षेत्र, रसोईघर, होटल, सराय, प्रदर्शनी कक्ष, भोजनालय और प्रतीक्षालय जैसी व्यवस्थाएं विकसित की जाएंगी.

कैसा होगा न्यास?
न्यास की संरचना- न्यास में 11 मनोनीत और 7 पदेन सदस्य होंगे.मनोनीत सदस्य: वैष्णव परंपराओं/संप्रदायों/पीठों से 3 प्रतिष्ठित सदस्य (जिनमें साधु-संत, मुनि, गुरु, विद्वान, मठाधीश, महंत, आचार्य, स्वामी सम्मिलित हो सकते हैं).सनातन धर्म की परंपराओं/संप्रदायों/पीठों से 3 सदस्य (उसी श्रेणी के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व).सनातन धर्म की किसी भी शाखा/संप्रदाय से 3 सदस्य (प्रतिष्ठित व्यक्ति/शिक्षाविद/विद्धान/उद्यमी/वृत्तिक/समाजसेवी).गोस्वामी परंपरा से 2 सदस्य- स्वामी हरिदास जी के वंशज; एक राज-भोग सेवादारों और दूसरा शयन-भोग सेवादारों का प्रतिनिधि.सभी मनोनीत सदस्य सनातनी हिंदू होंगे; कार्यकाल 3 वर्ष का होगा

पदेन सदस्य में मथुरा के जिला मजिस्ट्रेट, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर निगम आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद के सीईओ, बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट के सीईओ और राज्य सरकार का नामित प्रतिनिधि शामिल होंगे. यदि कोई पदेन सदस्य सनातन धर्म को नहीं मानने वाला/गैर-हिंदू हुआ, तो उसकी जगह उससे कनिष्ठ अधिकारी को नामित किया जाएगा.

बैठक, दायित्व और वित्तीय अधिकार
न्यास की बैठक हर तीन महीने में अनिवार्य होगी; आयोजन से 15 दिन पहले नोटिस देना होगा. बोर्ड/सदस्य सद्भावना-पूर्वक किए गए कार्यों के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराए जाएंगे. न्यास को ₹20 लाख तक की चल/अचल संपत्ति स्वयं खरीदने का अधिकार होगा; इससे अधिक के लिए सरकार की स्वीकृति आवश्यक होगी. मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एडीएम स्तर के अधिकारी होंगे. यह अध्यादेश मंदिर की धार्मिक परंपरा की रक्षा करते हुए प्रशासन को संस्थागत बनाता है और श्रद्धालुओं को उन्नत अनुभव देने का रोडमैप प्रस्तुत करता है.

Share.

About Author

Leave A Reply