भगवान से जिसे जीवन और सोचने समझने की शक्ति दी वो मानव कितनी सतुष्टि प्रवृति और नई इच्छाएं रखने वाला हो हर काई चाहता है कि समाज में मुझे भी सम्मान और सुविधाएं व प्रशंसा प्राप्त हो। लेकिन जो फिलहाल एक नई सोच उभरकर आ रही है वो पुराने जमाने की कहावत समर्थ को ना दोष गुसाई गरीब की जोरू सबकी भाभी और तगड़े की बीवी सबकी बहन को साकार करते हुए संपन्न व्यक्तियों को जिसके वो पात्र है नहीं उन्हें सब मिल रहा है और औरों की हिस्सेदारी भी ऐसे ही लोग हड़प रहे हैं। भले ही नोबल शांति पुरस्कार प्राप्त करने के लिए भरपूर प्रयासरत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इच्छा पूरी ना हो पाई हो क्योंकि लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए पिछले २० साल से संघर्षरत मारिया रिचाडो यह पुरस्कार ले बैठी तो बात सामने आई कि ताकतवर व्यक्ति हर चीज प्राप्त नहीं कर सकता। पात्र व्यक्ति का भी महिमामंडन हो सकता है। मैं यह नहीं कहता कि हर व्यक्ति दूसरों के हक पर कब्जा जमा रहा है लेकिन सर्व शक्ति संपन्न व्यक्ति ही हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। यह सही नहीं है। पात्र व्यक्ति भी आर्थिक कारणों से कमजोर होने के बाद कुछ नहीं मिल पाता इसलिए जब देश राज्य और जिला स्तर पर कुछ लोगों को सम्मान मिलते है ंतो लोग कहते सुने जाते हैं कि यह गलत तरीके से दिए गए । कई तो अदालत का दरवाजा खटखटा लेते हैं लेकिन यह बात तो मिलने वाला और नहीं मिलने वाला कहते सुने जाते हैं कि मेरा नंबर कब आएगा। गरीब हुआ तो क्या हुआ इंसान तो मैं भी हूं और पात्र भी। यह सब नागरिकों को ऐसे समारोह में सुनने को खूब मिलता है समाज में सब संभव है इसलिए सबको गलत या सही भी नहीं कह सकते लेकिन मुझे लगता है कि जनप्रतिनिधियों नौकरशाहों और समाज में अच्छा काम करने का डंका पीटने वालों को चाहिए कि जिन्हें खुश करना है उन्हें तो महिमामंडित करो लेकिन पात्रों को भी नजरअंदाज मत करो। आप दो लोगों को सम्मानित कर रहे हैं तो पांच लोगों को सम्मानित कर दें इससे सब लोग आपकी तारीफ करेंगे।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ
मेरा नंबर कब आएगा मैं भी तो भगवान की ही देन हूं
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