एक जमाना था जब वर्षों तक समाज सेवा से संबंध क्षेत्रों में सक्रिय रहने और राजनीतिक क्षेत्र में अपनी स्वच्छ छवि कायम रखने में सफल व्यक्ति यह उम्मीद किया करते थे कि उन्हें भी आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए तो उनके समर्थक यह चर्चा चलाते थे कि फलां व्यक्ति के काम को देखकर उन्हें राजनीतिक पार्टियों में पद और विधायक मंत्री बनने का अवसर दिया जाना चाहिए। लेकिन अब पिछले कुछ वर्षों से जो नजर आ रहा है उसके अनुसार होने वाली चर्चा से पता चलता है कि अवैध निर्माण कच्ची कालोनियां और सरकारी भूमि घेरने में लगे अघोषित भूमाफिया और कई मौकों पर बदनाम छवि के व्यक्तियों के अतिरिक्त जिन कुछ लोगों द्वारा थोड़े समय में बड़ी धन संपदा इक्ट्ठी की गई हो वो भी धार्मिक और विभिन्न कार्यों में मुख्य अब तक विशिष्ठ अतिथि बनकर राजनीतिक दल में टिकट पाने का रास्ता स्वयं और अपने सहयोगियों के माध्यम से खोजने में लगे है। और कई मौकों पर तो अब ऐसी सोच वालों को बढ़ावा देने वाले विधायक सांसद व मंत्री बनने के उनसे भी ज्यादा मजबूत उम्मीदवार ऐसे लोगों को बढ़ा रहे है इसलिए कुल मिलाकर हर क्षेत्र और जनपद में यह व्यवस्था दिन पर दिन मजबूती से लागू हो रही है।
फिलहाल हम एक जमाने में कांग्रेस का गढ़ रहे और वर्तमान में भाजपा की सबसे मजबूत सीट जिस क्षेत्र का त्यागी सिख भी प्रतिनिधित्व करते रहे है लेकिन पिछले कुछ दशक से स्वर्गीय परमात्मा शरण कंसल एडवोकेट ने जो अपने जीवन काल में चुनाव मैदान में उतरकर कैन्ट सीट जीती उसके बाद उनकी धर्मपत्नी श्रीमति शशि मित्तल इस क्षेत्र से विधान सभा में प्रतिनिधित्व करती रही। दूसरे कार्यकाल में नामांकन से पहले दिन तो शाम तक तो शशि मित्तल ही सबसे मजबूत उम्मीदवार बताई जाती रही लेकिन ऐन मौके पर अमित अग्रवाल को मौका मिला। और उन्होंने जो अपनी राजनीति की शुरूआत की तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा वो निरंतर इस क्षेत्र से विधायक बनते चले आ रहे है। आगे भी अनेक नाम आने के बावजूद यह समझा जाता है कि अमित अग्रवाल का टिकट काटा जाना संभव नहीं है क्योंकि एक विधायक में जितने गुण होने चाहिए वो सब उनमें मौजूद नजर आते है। समीक्षकों का मानना है कि अगर किसी वजह से श्री अमित अग्रवाल मैदान छोड़ते है तो सबसे सख्त मजबूत उम्मीदवार के रूप में संघ परिवार के साथ साथ विभिन्न क्षेत्रों में पूरी निष्ठा से सक्रिय और युवाओं में लोकप्रिय हो रहे अपनी कार्य क्षमता के चलते वरूण अग्रवाल को टिकट मिलेगा लेकिन पुराने जमाने में प्रचलित कहावत राजनीति में जब व्यक्ति दरी बिछाना शुरू करता है तो वो उसी दिन से विधायक सांसद बनने के ख्वाब देखने लगता है और उसी हिसाब से काम करने लगता है। इसलिए जो नाम उभरकर आ रहे है उनकी मंशा को हल्का करके नहीं देखा जा सकता।
अब क्योंकि अपनी स्थापना से सिद्धांतों पर चलने वाली भाजपा घोषित और अघोषित भूमाफियाओं जो सरकारी जमीन घेरने के लिए चर्चित रहते है को तो शायद टिकट देने वाली नहीं है। चाहे वो कितने ही बधाई संदेश बड़े नेताओं की फोटो के साथ विज्ञापन के रूप में प्रकाशित कराते रहे। मगर फिर भी किसी भी व्यवस्था से क्यों ना आगे बढ़ रहे हो कुछ मजबूत नाम कैन्ट क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार बनने के लिए टिकट प्राप्ति हेतु हर संभव प्रयास कर रहे है उनमें जानकारों के अनुसार पिछले कुछ माह से हर क्षेत्र में सक्रिय अमित गर्ग मूर्ती जो आजकल अपने धन के दम पर हर क्षेत्र में अग्रणी रूप से दिखाने की कोशिश वो खुद व अन्यो के माध्यम से भी कर रहे है कि अलावा प्रमुख व्यापारी नेता विनीत शारदा अग्रवाल भाजपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल 15 साल तक पूर्व सांसद राजेन्द्र अग्रवाल के प्रवक्ता रहे वरिष्ठ भाजपा नेता हर्ष गोयल पिछले लगभग 50 साल से सर्मपित नेता के रूप में कार्यरत पूर्व पार्षद वर्तमान में व्यापार संघ के अध्यक्ष अजय गुप्ता पूर्व महानगर अध्यक्ष करूणेश नंदन गर्ग भाजपा व व्यापारी बिजेन्द्र अग्रवाल के अलावा गंगानगर स्थित आईआईएमटी कालेज के योगेश गुप्ता के अतिरिक्त अन्य और भी ऐसे अनेक नाम है जो अगर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की इस संदर्भ में नीति को देखा जाए तो आसमिक रूप से भी टिकट की दावेदारी प्रस्तुत कर सकते है।
ऐसा नहीं है कि कैन्ट क्षेत्र सिर्फ वैश्य समाज की धरोहर ही रहा हो यहां सोशलिस्ट पार्टी से श्रमिक नेता विरेश्वर त्यागी एक बार तो सरदार अजीत सिंह सेठी कई बार विधायक और मंत्री बने लेकिन फिलहाल कई वर्षों से भाजपा उम्मीदवार यहां से जीतता रहा है इसलिए यह कहा जाता है कि यह सीट जिसको मिलेगी उसकी जीतने की उम्मीद काफी बढ़ जाती है। बताते है कि पूर्व में एक प्रकाशक द्वारा भी प्रयास किया और कराया गया था लेकिन एन मौकों पर वो किसी कारण से पीछे हट गये। अब अगर यह सीट किसी महिला को मिलती है तो पूर्व एमएलसी डा0 सरोजनी अग्रवाल कैन्ट बोर्ड की पूर्व उपाध्यक्ष शिप्रा रस्तोगी महिला आयोग की सदस्य डा0 हिमानी अग्रवाल की उम्मीदवारी के अलावा शहर में वैसे तो कई दशक से हर क्षेत्र में मजबूत दावेदारी संपर्काे की रखने वाले और वर्तमान में प्रतिष्ठित एलेक्जेंडर एथलेटिक्स क्लब के भारी उत्साह से विजयी हुए संजय कुमार द अध्ययन भी अगर सब कुछ सही चला तो केन्द्रीय नेतृत्व में मजबूत संबंध शहर में पुख्ता पकड़ और चर्चाओं तथा जो चीज चुनाव में जरूर चाहिए कार्यकर्ताओं की भींड और चुनाव के लिए आर्थिक मदद करने वालों की कोई कमी भी जानकारों के अनुसार इन पर नहीं है इसलिए संजय कुमार का नाम भी मजबूती से लिया जा सकता है। टिकट तो एक को ही मिलना है अब देखना है कि बड़े नेताओं के साथ बधाई विज्ञापन छपवाने वाले या धार्मिक आयोजनों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने वाले या बड़े वोट बैंक में से साथ लेकर कौन पार्टी नेतृत्व की आकाक्षांओं पर खरा उतरता है और किसका मुकद्दर खुलता है जीत हार की बात तो बाद की।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
कोई धन के दम पर कुछ बधाई विज्ञापन, भाजपा की सीट कहलाने वाले कैन्ट विधानसभा क्षेत्र! किसको मिलता है टिकट कौन बनेगा विधायक, वैश्य समाज से उम्मीदवारों की है बड़ी लाईन, अमित मूर्ती व संजय कुमार द अध्ययन
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