Monday, December 23

आचार संहिता के बाद प्राधिकरण लेगा जमीनों पर कब्जे

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मेरठ, 11 मई (प्र)। चुनाव आचार संहिता हटने के बाद मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) जिन सम्पत्ति को लेकर विवाद चल रहा हैं, उसके निस्तारण की दिशा में प्रयास किये जाएंगे। वेदव्यासपुरी, शताब्दीनगर और लोहियानगर ऐसी प्राधिकरण की योजनाएं है, जिनमें किसानों से जमीन पर मेडा कब्जा नहीं ले पा रहा हैं। इसी को लेकर ढाई दशक से तकरार चली आ रही हैं। शताब्दीनगर योजना की जमीन पर तो किसानों ने कब्जे ही नहीं छोड़े तथा जमीन पर खेती कर रहे हैं। ये करीब छह सौ एकड़ जमीन हैं। ये जमीन किसानों से मुक्त हुई तो प्राधिकरण को बड़ा आर्थिक लाभ होगा।

दरअसल, चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद प्राधिकरण के अधिकारी इसी को लेकर फोकस करने वाले हैं। क्योंकि छह सौ एकड़ जमीन में बड़ी टाउनशिप विकसित की जा सकती हैं, जो फिलहाल प्राधिकरण के लिए व्यर्थ हैं। प्राधिकरण ने किसानों से जमीन मुक्त कराने की दिशा में काम भी किया था, लेकिन इसका भारी विरोध हो गया था। विरोध का सामना प्राधिकरण के अधिकारियों और पुलिस ने किया था। फिर से कोई टकराव पैदा नहीं हो, इसलिए प्राधिकरण ने शताब्दीनगर योजना की जमीन पर कब्जा लेने का इरादा थोड़ा टाल दिया था। अब लोकसभा चुनाव निपटने के बाद शताब्दीनगर पर ही प्राधिकरण फोकस करने वाला हैं।

क्योंकि इतनी बड़ी प्रॉपर्टी प्राधिकरण की शहर में नहीं बची हैं, जिसको लेकर प्राधिकरण आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सके। फिर जिनको प्राधिकरण प्लाट आवंटित कर चुका हैं, उनको प्लाट पर ढाई दशक बाद भी कब्जे नहीं मिले। ये हालत तो शताब्दीनगर की हैं। इसी तरह से लोहिया नगर योजना में भी कुछ जमीन को लेकर सरायकाजी के किसानों के बीच विवाद चल रहा हैं। जब भी प्राधिकरण वहां पर काम करने के लिए जाता हैं, तभी किसान रुकावट पैदा कर देते हैं। कई योजनाओं को लेकर विवाद बना हुआ हैं। इसका निस्तारण करने की दिशा में प्राधिकरण अफसर अब आगे कार्रवाई करने जा रहे हैं। क्योंकि गंगानगर योजना का तो निस्तारण हो चुका हैं। गंगानगर एक्सटेंशन पर प्राधिकरण किसानों से जमीन पर कब्जा ले चुका हैं। अब वेदव्यासपुरी और शताब्दीनगर ही ऐसे मुख्य योजना हैं, जहां पर विवाद बना हुआ हैं। वेदव्यासपुरी में भी कुछ जमीन पर वर्तमान में भी किसानों का कब्जा चला आ रहा हैं।

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