वैसे तो हर व्यक्ति एक दूसरें से यह कहते सुनते मिलता है कि लोगों के विचार निगेटिव हो रहे हैं। दूसरे खुद चाहे कितना लालची भ्रष्ट हो लेकिन दूसरे पर संस्था का पैसा खाने के आरोप लगाने में कोई नहीं चूकता। जहां तक मैंने देखा कोई भी संस्था हो ९० प्रतिशत से ज्यादा कर्णधार अपने सम्मान के लिए संस्था में काम करते हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। यह जरुर है कि जो जिस संस्था पर काबिज हो जाए वो उसे छोड़ना नहीं चाहता लेकिन कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जहां यह बातें लागू नहीं होती। इसके उदाहरण के रूप में शहर के एलेक्जेंडर एथलेटिक्स क्लब को देखा जा सकता है। लगभग तीन दशक से मैं भी इसका सदस्य हूं और पांच दशक से इसकी कार्यप्रणाली को भी सुनता चला आ रहा हूूं। आरके गुप्ता दुष्यंत वार्ष्णेय से लेकर जितने भी इसके पदाधिकारी रहे और मुकेश गुपता के सचिव के समय को छोड़ दिया जाए तो सबने क्लब का नाम रोशन करने सदस्यों को सुविधाएं उपलब्ध कराने और इसके हित में योजना बनाने में समय लगाया गया। अब क्लब के हो रहे चुनाव को लेकर कई चर्चाएं है। चुनाव में परिवर्तन और ट्रस्टी गु्रप आमने सामने हैं। दोनों ही पैनलों में परिवर्तन पैनल से जे.पी. अग्रवाल उपाध्यक्ष पद के लिए, संजय कुमार माननीय सचिव पद के लिए और राहुल दास कोषाध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। तथा दूसरे दूसरे पैनल टेस्टेड और ट्रस्टेड परिवार से उपाध्यक्ष पद पर शुभेंद्र मित्तल, सचिव पद पर अंकुर जग्गी व कोषाध्यक्ष पद पर अजय अग्रवाल चुनाव मैदान में है। क्लब में इनके द्वारा ना पूर्व में कोई गड़बड़ी की गई ना भविष्य में की जाएगी। ऐसा सदस्यों का कहना है। उसके बाद भी कोई कह रहा है कि पदाधिकारी मोटा पैसा खाते हैं इसलिए चुनाव जीतकर क्लब पर कब्जा करना चाहते हैं। कोई कहता है रसोई तो कोई सुरा के गिलास में दम है कहते नहीं थकता। जहां तक मेरा अनुभव है क्लब का कोई सदस्य इससे फायदा नहीं उठाना चाहता। चुनाव जीतकर आना सम्मान की बात है। एलेक्जेंडर एथलेटिक्स क्लब हो या कोई और संस्था कुछ खर्चे सीधे नहीं डाले जा सकते उनकी पूर्ति के लिए व्यवस्थाएं सेट करनी होती है। सभी से आग्रह है कि जो चुनाव लड़ रहे हैं या अमित संगल, गौरव अग्रवाल राकेश जैन में से किसी ने भी गडबड़ की हो ऐसा दिखाई नहीं दिया। आरोप प्रत्यारोप की दुकान चलाना बंद करना चाहिए। क्लब के सम्मान के लिए यही उपहार होगा। सब यह समझ लें कि शुभेंद्र मित्तल हो या जयप्रकाश अग्रवाल संजय कुमार हो या राहुल दास या अंकुर जग्गी, राकेश जैन गौरव अग्रवाल जैसे लोग आर्थिक लाभ उठाने नहीं सम्मान व सदस्यों के लिए कुछ करने आते हैं।
डा0 ब्रजभूषण सीए संजय जैन संजीव झनकार अरविन्द लाली विपिन अग्रवाल विपिन सोढ़ी आदि ये ऐसे लोग है जो चुनाव जीतकर वहां गड़बड़ करने वालों को कभी भी आगे नहीं ला सकते। क्योंकि इनका मानना है कि हम सब क्लब का सम्मान व मान बढ़ाने के लिए चुनाव में हिस्सा लेते है लड़ते व लड़ाते है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स)