Friday, November 22

अमेरिकी नागरिकों के फर्जी पते पर मोबाइल भेजने वाला काल सेंटर पकड़ा, 16 गिरफ्तार

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नोएडा 20 नवंबर। नोएडा एसटीएफ यूनिट की टीम ने अमेरिकी नागरिकों को अवैध रूप से कॉल सेंटर का संचालन कर के लाखों रुपये की ठगी करने वाले एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया गया है। नोएडा एसटीएफ यूनिट के एडिशनल एसपी राजकुमार मिश्रा के नेतृत्व में गठित टीम ने नोएडा के थाना फेज-1 पुलिस की मदद से शनिवार को 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ये आरोपी नोएडा के सेक्टर-3 स्थित जी-43 के तीसरी मंजिल की एक कंपनी में कॉल सेंटर के जरिए विदेशियों को ठग रहे थे। इनके कब्जे से एक एक्सयूवी 500 गाड़ी और अन्य सामान बरामद किया गया है।

नोएडा एसटीएफ यूनिट के अडिशनल एसपी राजकुमार मिश्रा ने एनबीटी ऑनलाइन को जानकारी देते हुए बताया कि अमेरिका के रहने वाले डेवन मिशेल और वारेन येटस ने ईमेल के माध्यम से शिकायत की गई। 13 हजार किलोमीटर दूर से पीड़ितों ने बताया कि नितिन श्रीवास्तव द्वारा चलाए जा रहे कॉल सेंटर से उन्हें फोन कर ठगा गया है। वारेन येटस के बैंक ऑफ अमेरिका के खाते से 41,500 डॉलर की रकम हॉन्गकॉन्ग के एचएसबीसी बैंक के खाते में ट्रांसफर कर दी गई। डेवेन मिशेल से कितनी की ठगी हुई है, उसका शिकायत में जिक्र नहीं किया है।

एसपी राजकुमार मिश्रा ने आगे बताया कि गिरफ्तार आरोपी दिव्य शर्मा उर्फ लवकुश ने पूछताछ में बताया कि उसकी उम्र 28 वर्ष है। उसने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास से स्नातक किया है। आरोपी ने बताया कि उसकी मां लीना शर्मा वर्ष 2012 से प्रॉपर्टी का काम करती थी, उस समय नितिन भी प्रॉपर्टी का काम करता था। जहां उसकी जान पहचान लीना शर्मा से हुई। इसी दौरान वह नितिन के संपर्क में आया। नितिन पहले भी फर्जी कॉल सेंटर चलाने का काम करता था। आरोपी दिव्य शर्मा उर्फ लवकुश ने बताया कि उसको नितिन ने लगभग 5 वर्ष से इस फर्जी कॉल सेंटर के काम में शामिल कर रखा है।

एडिशनल एसपी राजकुमार मिश्रा ने बताया कि आरोपी अमेरिका के नागरिकों का डेटा (जिसमें नाम, पता, फोन नंबर और सोशल सिक्योरिटी नंबर होता है) ये खरीद लेते है। इसके बाद फिर व्हाइट पेजस वेबसाइट से इन मोबाइल नंबरों से अमरीका के सर्विस प्रोवाइडर का पता कर लेते हैं। फिर अपने कॉल सेंटर से मोबाइल धारक को उसी सर्विस प्रोवाइडर की तरफ से फर्जी कॉल करते हैं। धारक से उसका पिन नंबर ले लेते हैं। इसके बाद पुनः इसी कॉल सेंटर से सर्विस प्रोवाइडर को धारक बताकर कॉल करते है। पूछने पर धारक का पिन नंबर सर्विस प्रोवाईडर को देते हैं। इसके बाद सर्विस प्रोवाईडर से नया फोन बुक कर लेते हैं। आरोपी इस नये फोन को डिलीवर के लिए एक फर्जी एड्रेस से संबंधित डॉक्यूमेंट जैसे कूटरचित डीएल, पासपोर्ट आदि बनाकर अपलोड कर देते हैं। फिर दिए हुए पते पर डिलीवरी हो जाती हैं, जिसके बाद यूएसए में इनसे जुड़े उनके एजेंट प्राप्त कर लेते हैं। इसके बदले अमेरिकन एजेंट वो पैसा हांगकांग के विभिन्न बैंकों के खातों में डाल देते हैं। ये पेमेंट मोड नितिन, टेलीग्राम चैनल व डार्क वेब से लेते हैं। इसके बदले में कमीशन लोकल बिटकॉइन पेज के जरिए से यूएसडीटी में पे कर देता हैं। गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ थाना फेज-1 पर धारा 419, 420, 467, 468, 120बी, 34 मुकदमा एवं 66 डी आईटी एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत हुआ हैं।

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