प्रयागराज 20 नवंबर। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुत्तीलाल केस में दिए निर्देश के विपरीत प्रदेश सरकार के वित्त विभाग व वन विभाग के अपर मुख्य सचिवों के रवैये को अदालत की आपराधिक अवमानना करार दिया है।
साथ ही दोनों विभागों के अपर मुख्य सचिवों को वन विभाग में कार्यरत सभी दैनिक व मस्टर रोल कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत 18 हजार रुपये न्यूनतम वेतन का भुगतान करने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने गोरखपुर के विजय कुमार श्रीवास्तव व अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। कहा है कि यदि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जाता तो दोनों अधिकारी हाजिर होकर कारण बताएं कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना आरोप निर्मित कर कार्रवाई की जाए। प्रकरण की अगली सुनवाई चार दिसंबर को होगी।
राज्य सरकार ने पहले हलफनामा दाखिल कर कहा कि छठवें वेतन आयोग के तहत 7000 रुपया वेतन पा रहे सभी दैनिक कर्मियों को नियमित होने तक सातवें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये का भुगतान करने पर नीतिगत सहमति है।
अपर महाधिवक्ता अशोक मेहता ने कोर्ट को इस आशय का आश्वासन भी दिया था। बाद में विभाग फैसले से पलट गए और कहा कि न्यायपालिका व कार्यपालिका में शक्ति पृथक्करण है। वेतन तय करने का अधिकार सरकार को है, न केवल न्यूनतम वेतन देने से इन्कार कर दिया अपितु निरंतर सेवा न लेने का आदेश जारी किया। कोर्ट ने इसे हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के फैसले का खुला उल्लंघन माना।
याची के अधिवक्ता पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि प्रमुख मुख्य सचिव वन, पर्यावरण व पारिस्थितिकी परिवर्तन विभाग की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने न्यूनतम वेतन देने की सिफारिश की और कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सूचित भी किया। अब सरकार अपने वचन से यह कहते हुए मुकर गई कि ऐसा करना नियमों के विपरीत है। फाइनेंशियल हैंड बुक पार्ट 6 को असंवैधानिक घोषित नहीं किया गया है। इसलिए दैनिक कर्मियों को न्यूनतम वेतन पाने का हक नहीं है।
कोर्ट ने कहा, छठें वेतन आयोग का लाभ देकर सातवें वेतन आयोग का लाभ देने से इनकार करने का अधिकार सरकार को नहीं है। सरकार ने कहा था जिन्हें 7000 रुपये मिल रहे हैं उन सभी को 18 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाएगा और कोर्ट ने फैसला दे दिया। अब न केवल अपने वायदे अपितु कोर्ट के आदेश का पालन करने से मुकरना को कोर्ट की स्पष्ट अवमानना है।
कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव वित्त एवं वन विभाग को आदेश का पालन करने अथवा यह बताने का निर्देश दिया है कि क्यों न अवमानना आरोप निर्मित किया जाए।