मेरठ 11 जून (प्र)। गाड़ी घोटाले के बाद नगर निगम में फिर भ्रष्टाचार हो गया। 50 हजार हजार के सोफे – अलमारी खरीदे गए और बिल तीन लाख रुपये का बना दिया गया। सोमवार को सामान की खरीद में गड़बड़ी का आरोप लगाकर भाजपा पार्षदों ने निगम में हंगामा किया। पार्षदों का कहना है कि निगम में कर्मचारियों के पटल परिवर्तन, सिकनी किरायानामा और नामजद कर्मचारियों के मामले में अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस कारण ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। पार्षदों ने नगर आयुक्त को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की।
भाजपा पार्षद उत्तम सैनी, संजय सैनी और पवन चौधरी सहित 12 पार्षद नगर निगम पहुंचे। पार्षद उत्तम सैनी ने बताया कि पार्षद कक्ष में छह माह पहले सोफे रखे थे, जिसकी कीमत 50 हजार है, लेकिन निगम के अधिकारियों ने सोफे का बिल तीन लाख रुपये बताया। इसी तरह पार्षद कक्ष में अलमारी नहीं बनाई है, जबकि नगर निगम ने एक लाख रुपये का बिल बनाकर भुगतान करा लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि निगम में कई कर्मचारी कम दामों में सामान खरीद कर उसका बिल चार से पांच गुने का बनवाकर भुगतान करा ले रहे हैं।
पार्षद संजय सैनी ने बताया कि कर्मचारियों के पटल परिवर्तन के लिए निगम की बोर्ड बैठक में कई बार मामला उठाया गया। सिकनी किरायानामे में भी खेल हो रहा है। 23 कर्मचारियों की अवैध नियुक्ति और 11 अन्य कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज है।
इन सबके बावजूद भी नगर निगम के अधिकारी न कर्मचारियों पर कार्रवाई कर रहे और न भ्रष्टाचार पर शिकंजा कस रहे है। इन सबको लेकर पार्षदों और स्थानीय लोगों में आक्रोश है। पार्षदों ने निगम परिसर में अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए भ्रष्टाचार करने वाले कर्मचारी और अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग के संबंध में नगर आयुक्त डॉ. अमित पाल शर्मा को ज्ञापन सौंपा है। नगर आयुक्त ने पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
पोलिंग बूथ पर कुर्सी मेज लगी, बिल लाखों का बनाया
पार्षदों ने आरोप लगाया कि नगर निगम के नजाकत विभाग में फर्जी बिल बनाए जा रहे हैं। पोलिंग बूथ पर निगम ने 10-15 जगह पर कुर्सी मेज लगाई थीं और बिल लाखों में बना दिया है। शहर में कई जगह स्थानीय पार्षद, भाजपा और सपा नेताओं ने ही पोलिंग बूथ पर सारी व्यवस्था की है। निगम के एक बाबू ने दो पार्षदों के साथ मिलकर फर्जी बिल बनाए। भाजपा पार्षद उत्तम सैनी ने निगम के बाबू पर कार्रवाई, नजाकत विभाग की भूमिका की जांच और फर्जी बिल का भुगतान रुकवाने के लिए जिलाधिकारी, नगर आयुक्त को पत्र लिखा है।